सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार को घोषित किया कि आगामी धर्माध्यक्षीय धर्मसभा
सन् 2012 में होगी तथा सुसमाचार प्रचार के नये तरीकों पर केन्द्रित रहेगी।
वाटिकन
स्थित सन्त पेत्रुस महामन्दिर के प्राँगण में, मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा
का समापन करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उक्त घोषणा की। उन्होंने कहा, "आगामी
धर्माध्यक्षीय धर्मसभा सन् 2012 में सम्पन्न होगी तथा उसका शीर्षक होगाः "ख्रीस्तीय विश्वास
के प्रसार हेतु नवीन सुसमाचार उदघोषणा"।
रविवार को मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों
की धर्मसभा के समापन के साथ साथ विश्व मिशनरी दिवस भी मनाया गया। इस सन्दर्भ में सन्त
पापा ने कहा, "ये दो महान घटनाएँ हमें सहभागिता के रहस्य रूप में कलीसिया की ओर निहारने
का निमंत्रण देती हैं क्योंकि कलीसिया अपनी प्रकृति से ही सम्पूर्ण एवं अखण्ड मानव एवं
सब लोगों की नियति है।"
पूर्व सन्त पापा पौल षष्टम के शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने
कहा, "सुसमाचार उदघोषणा के कारण ही कलीसिया अस्तित्व में है, अर्थात् उसका कार्य है प्रचार
करना, शिक्षा प्रदान करना, कृपा दान का माध्यम बनना, पापियों का मेल ईश्वर से कराना तथा
पवित्र ख्रीस्तयाग में प्रभु ख्रीस्त के बलिदान को जारी रखना जो प्रभु की मृत्यु एवं
उनके पुनःरुत्थान का स्मारक है।"
कलीसिया के मिशनरी कार्यों पर चिन्तन करते
हुए सन्त पापा ने कहाः "कलीसिया का मिशनरी कार्य विश्व में क्रान्ति लाना नहीं है अपितु
येसु ख्रीस्त से शक्ति अर्जित कर उसे रूपान्तरित करना है, जो उनकी उपस्थिति का स्वाद
चखाने हेतु हमें शब्द एवं यूखारिस्त की मेज़ पर आमंत्रित करते हैं ताकि हम उनके आदेशों
के अनुकूल अपने जीवन को ढाल सकें तथा अपने प्रभु एवं गुरु के साथ अधिकाधिक एक हो सकें।"