2010-10-25 12:24:43

असमः महाधर्माध्यक्ष की नियुक्ति न होने पर उत्तरपूर्व के काथलिकों में निराशा


उत्तरपूर्व भारत के काथलिकों ने क्षेत्र में दशकों से कार्यरत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनामपरमपिल की नियुक्ति न होने पर गहन निराशा व्यक्त की है।

20 अक्तूबर को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने 24 नये कार्डिनलों के नाम घोषित किये थे जिनका अनुष्ठान समारोह 20 नवम्बर को वाटिकन में सम्पन्न होगा। 24 नये कार्डनिलों में केवल एक कार्डिनल एशिया के हैं और वे हैं, कोलोम्बो के महाधर्माध्यक्ष मैलकम रंजीत। पूर्व की रिपोर्टों में अनुमान लगाया गया था कि एशिया से कम से कम चार नये कार्डिनल नियुक्त किये जायेंगे।

असम के काथलिक लोकधर्मी विली मैथ्यूज़ ने ऊका समाचार से कहा कि असम के लोगों को आशा थी कि गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष मेनामपरमपिल को नियुक्त किया जायेगा किन्तु उनकी नियुक्ति न होने से लोगों में निराशा छा गई है।

साईलिशियन धर्मसमाज के एक पुरोहित ने कहा कि वे महाधर्माध्यक्ष का नाम न घोषित किये जाने से दुखी थे जबकि एक वरिष्ठ पुरोहित ने कहा कि उन्हें इससे गहन धक्का लगा है।

असम की एक धर्मबहन ने कहा कि महाधर्माध्यक्ष मेनामपरमपिल उत्तरपूर्व में अपनी शांति पहलों के लिये विख्यात हैं। उन्होंने कहा, "महाधर्माध्यक्ष मेनामपरमपिल सम्पूर्ण उत्तरपूर्व के लिये शान्तिवाहक हैं।" इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि महाधर्माध्यक्ष के प्रयासों ने ही, मिशनरियों के लिये वर्जित, अरुणाचल प्रदेश में कलीसिया को प्रवेश दिलाया है।

उत्तरपूर्व सात राज्यों में विस्तृत है जहाँ लगभग 200 देशज एवं जनजातियाँ निवास करती हैं। भारत से स्वतंत्र होने के लिये इनमें से कई जातियाँ संघर्षरत हैं और इसी कारण इनमें आपसी तनाव भी बने रहते हैं।

श्री मैथ्यूज़ के अनुसार महाधर्माध्यक्ष मेनामपरमपिल की पहल पर ही असम के सान्थाल एवं बोडो जनजातियों, तथा मनीपुर के विभिन्न दलों के बीच शांति की स्थापना हो सकी।

भारत के उत्तरपूर्व क्षेत्रों में दस लाख से अधिक काथलिक धर्मानुयायी हैं जिनकी प्रेरिताई 16 धर्मप्रान्तों द्वारा की जा रही है।









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