(वाटिकन सिटी सीएनएस) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने विश्व के गुरूकुल छात्रों या सेमिनरी
छात्रों के नाम एक पत्र में कहा है कि व्यापक धार्मिक उदासीनता तथा हाल में कुछेक पुरोहितों
द्वारा किये गये बाल यौन दुराचार के प्रकरणों के सामने विश्व को वैसे पुरोहितों और मेषपालों
की जरूरत है जो ईश्वर की सेवा कर सकें तथा लोगों को ईश्वर के पास लायें। उन्होंने सेमिनरी
छात्रों को प्रोत्साहन दिया है कि वे पुरोहिताई तथा ब्रह्मचर्य के महत्व और मूल्य के
बारे में किसी भी प्रकार के संदेहों पर विजय प्राप्त करें जिसकी छवि कुछेक पुरोहितों
द्वारा किये गये बाल यौन दुराचार के प्रकरणों के कारण धूमिल हुई।
संत पापा का
अनापेक्षित पत्र वाटिकन ने 18 अक्तूबर को जारी किया। इसी वर्ष पुरोहितों को समर्पित वर्ष
का समापन जून माह में हुआ। संत पापा ने पत्र के आरम्भ में द्वितीय विश्व युद्ध के काल
में अपनी बुलाहट के विकास के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि दिसम्बर 1944 को जब वे सैन्य
सेवा में थे तो कम्पनी कमांडर ने प्रत्येक जन से पूछा कि वे भविष्य में क्या करना चाहते
हैं। संत पापा ने कहा कि वे एक काथलिक पुरोहित बनना चाहते हैं। सैन्य अधिकारी ने उनसे
कहा- तब उन्हें कुछ और तलाशनी चाहिए क्योंकि नवीन जर्मनी में पुरोहितों की जरूरत नहीं
है। संत पापा ने स्मरण करते हुए कहा कि वे जानते थे कि नवीन जर्मनी का अंत होने जा रहा
है और व्यापक विनाश के बाद देश को पहले से कहीं अधिक पुरोहितों की जरूरत होगी।
संत
पापा ने कहा कि आज अनेक लोग ईश्वर के प्रति जागरूक नहीं है तथा हिंसा और क्षणिक उत्तेजना
का उपयोग कर बचना चाहते हैं। पुरोहिताई को अतीत तथा प्रचलन से बाहर का समझते हैं लेकिन
पौरोहितिक प्रेरिताई अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वह संसार में ईश्वर की उपस्थिति को देखने
के लिए लोगों की सहायता करे।
संत पापा ने गुरूकुल छात्रों को ईशशास्त्र और दर्शनशास्त्र
का अच्छी तरह अध्ययन करते हुए अध्ययनकाल का पूर्ण सदुपयोग करने तथा परस्पर प्रेम और समझदारी
में बढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया ताकि वे प्रशिक्षण समाप्त होने पर पुरोहित के प्रेरिताई
कार्य़ को और अधिक अच्छी तरह सम्पन्न कर लोगों को ईश्वर के समीप लाने में अपना विशिष्ट
योगदान दे सकें।