रोम, 16 अक्तूबर, 2010 (ज़ेनित) दक्षिणी इटली के नेपल्स के एक सेनाध्यक्ष दियेगो परिवार
में जन्मी दोना जुलियेत्ता सलज़ानो भी उन 6 धन्यों में से एक हैं जिन्हें 17 अक्तूबर
रविवार को संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें संत घोषित करेंगे।
दोना जुलियेत्ता ने
बच्चों को धर्मशिक्षा देने में अपना विशिष्ट योगदान दिया। जुलियेत्ता कहा करती थी कि
उसकी हार्दिक इच्छा थी कि बच्चों को धर्मशिक्षा देते हुए ही उसका स्वर्गवास हो जाये।
83 वर्ष की आयु में सन् 1929 ईस्वी में जुलियेत्ता ने 100 बच्चों को प्रथम परमप्रसाद
की तैयारी कराते हुए धर्मशिक्षा दी और तब उन्होंने अंतिम साँस लिया।
संत प्रकरण
के फादर देलिया ने ज़ेनित समाचार को बताया कि धन्य जूलियेत्ता के विश्वास को आंतरिक दिव्य
शक्ति ने इस बात का मार्गदर्शन किया था कि वह इस बात को दृढ़ता से मानती थी कि बच्चों
के लिये ख्रीस्तीय सिद्धांतों की शिक्षा देना निहायत ज़रूरी है।
इसी लिये जुलिया
ने ऐसा कोई भी अवसर नहीं गँवाया जब उन्होंने बच्चों को धर्मशिक्षा न दी हो। बाद में जुलिया
ने सन् 1905 में एक धर्मसमाज की स्थापना की जिसे आज ‘कोन्ग्रेगेशन ऑफ द कटेकिस्ट सिस्टर्स
ऑफ सेक्रेड हार्ट’ के नाम से जाना जाता है।
कटेकिस्ट सिस्टर्स आज विश्व के कोने-कोने
में कलीसिया की धर्मशिक्षा का प्रचार-प्रसार कर रही हैं विशेष करके इटली, ब्राजील, कनाडा,
फिलीपींस, पेरु, इंडोनेशिया, कोलोम्बिया और भारत में।
धन्य जुलियेत्ता कहा करती
थी धर्मशिक्षा देने में जो त्याग है वह कभी भी काफी नहीं है एक धर्मशिक्षक को चाहिये
कि वह यह तीव्र इच्छा रखे कि धर्मशिक्षा का कार्य करते हुए ही वह अंतिम श्वास ले।