अल्लेपी धर्मप्रांत में अरथुंगल स्थित संत अन्द्रेयस चर्च को बासिलिका का दर्जा मिला
भारत में वाटिकन के राजदूत महाधर्माध्यक्ष साल्वातोरे पेनाकियो ने 11 अक्तूबर को समारोही
ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता कर अल्लेपी धर्मप्रांत में अरथुंगल स्थित संत अन्द्रेयस चर्च
को बासिलिका घोषित किया। दक्षिण भारतीय धर्मप्रांत के के काथलिकों और हिन्दुओं ने कहा
है कि 16 वीं सदी में निर्मित चर्च को बासिलिका दर्जा दिये जाने से अंतरधार्मिक सौहार्द
को और बढ़ायेगी। पुर्तगाली मिशनरियों ने 1581 में इस चर्च का निर्माण किया था। सदियों
से प्रतिवर्ष 20 से 27 जनवरी तक संत सेबस्तियन का पर्व मनाया जाता रहा है जिसमें हिन्दुओं
सहित हजारों लोग शामिल होते रहे हैं। चर्च के रेक्टर मान्यवर स्तेफन पजहामबासेरी
ने कहा कि पर्व का मुख्य आकर्षण शोभायात्रा है जिसमें संत की प्रतिमा को निकटवर्ती समुद्री
तट तक ले जाकर फिर चर्च तक लाया जाता है। उन्होंने कहा कि अनेक श्रद्धालु मिले वरदानों
के लिए कृतज्ञता दिखाने हेतु निकटवर्ती रास्ते से चर्च तक घुटनों के बल चलते हैं। उन्होंने
कहा कि नवम्बर से जनवरी माह के बीच अनेक हिन्दु धर्मावलम्बी सबारीमाला स्थित अयप्पा मंदिर
की वार्षिक तीर्थयात्रा सम्पन्न कर लौटते समय अरथुंगल स्थित इस चर्च की भेंट करते हैं।
हिन्दु धर्मानुयायी सुधाकरण वेलायुधन ने कहा कि चर्च को बासिलिका दर्जा दिये जाने से
वे प्रसन्न हैं। स्थानीय हिन्दुओं और ईसाईयों के मध्य मधुर संबंध का प्रसार करने में
चर्च की महान भूमिका रही है। इस चर्च को बासिलिका का दर्जा दिये जाने से और अधिक लोग
इसकी ओर आकर्षित होंगे तथा साम्प्रदायिक सदभावना का प्रसार होगा।