2010-10-02 14:37:41

ऐतिहासिक फैसले से चर्च को राहत


नई दिल्ली, 2 अक्तुबर, 2010 (उकान) बहुप्रतीक्षित रामजन्मभूमि बाबरी मसजिद विवाद का इलाहाबाद हाई कोर्ट के द्वारा 30 सितंबर गुरुवार को फैसला सुनाये जाने के बाद देश में शांति-व्यवस्था पर कोई प्रतिकूल असर न होने पर चर्च के नेताओं ने राहत की साँस ली है। वैसे कुछेक बुजूर्ग नेताओं ने फैसले को ‘निराशाजनक’ भी कहा है।
सीबीसीआई के अंतरधार्मिक वार्ता आयोग के राष्ट्रीय निदेशक फादर एम.डी थोमस ने कहा है कि वे अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं।


उन्होंने देशवासियों को इस बात के लिये सराहा कि उन्होंने अदालत के फैसले पर कोई आवेशपूर्ण प्रतिक्रिया नहीं दिखायी।


उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्रीय सरकार की मदद से कोई राष्ट्रीय स्मारक बनाकर भी इस विवादित ज़मीन की समस्या को सुलझाया जा सकता था।


उधर जेस्विट फादर सेड्रिक प्रकाश ने इलाहाबाद कोर्ट के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ कहा है। उन्होंने लोगों से अपील की है वे शांति बनाये रखें। उन्होंने कहा कि इस विवादित ज़मीन के फैसले में 60 साल लगे और इसने हज़ारों की जानें लीं हैं।
कॉन्फेरेन्स ऑफ रेलिजियस इंडिया के राष्ट्रीय सचिव ब्रदर मनि मेक्कुन्नेल ने कहा कि अदालत का फैसला एक ‘साहसिक कदम’ है।

अखिल भारतीय अंतरकलीसियाई समिति के महासचिव ने कहा है कि अदालत के फैसले ने उन्हें निराश किया क्योंकि उन्हें इस समाधान से विवाद अंत होता नहीं दिखाई देता।


सीबीसीआई के प्रवक्ता बाबू जोसेफ ने आशा व्यक्त की है कि अब लम्बे अर्से से चले आर रहे विवाद का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाप्त हो जायेगा।








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