2010-10-01 16:30:26

शांति और विकास का एकमात्र रास्ता वार्तालाप है


वाटिकन के विदेश मामलों के प्रभारी महाधर्माध्यक्ष दोमनिक मेमबेरती ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सामान्य महासभा को 29 सितम्बर को सम्बोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवजाति को ऐसे विश्व बनाने की दिशा में सहायता की है जिसकी विशेषता वार्तालाप, शांति और विकास है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ और इसकी विभिन्न एजेंसियाँ प्रभावी या असरकारी बनी रहें इसके लिए इनके कार्य और विचार विमर्श हमेशा हर नर नारी की मर्यादा, असाध्य रोगों से पीडि़त मरीजों, अजन्मे शिशुओं तथा धार्मिक स्वतंत्रता सहित सबलोगों के जीवन के अधिकारों का सतत संदर्भ लें।

महाधर्माध्यक्ष मेमबेरती ने कहा कि परमाणु हथियारों, कलस्टर बमों और बारूदी सुरंगों को कम करने के लिए द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय समझौतों के द्वारा किये गये काम सबलोगों के शांतिमय भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में उठाये गये महत्वपूर्ण कदम हैं तथापि अनेक देशों का राष्ट्रीय स्तर पर सैन्य व्यय, शांति और देश की आर्थिक प्रगति के लिए चुनौती प्रस्तुत करता है।

उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व बनाने के लिए हमें हर संभव उपाय करते रहना जरूरी है। यह एक ऐसा लक्ष्य है जिसे छोड़ा नहीं जा सकता है। यद्यपि यह लक्ष्य पाना जटिल और मुश्किल है तथापि इस दिशा में किये जानेवाले हर प्रयास को वाटिकन अपना समर्थन देती है।

महाधर्माध्यक्ष मेमबेरती ने कहा कि निरशस्त्रीकरण और परमाणु हथियार अप्रसार के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं तथापि विश्व स्तर पर सैन्य साज सामान में किये जानेवाला खर्च बहुत अधिक हैं और यह चिंता का भी कारण हैं।

उन्होंने कहा कि सम्मान और मानवाधिकारों का प्रसार वार्तालाप तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों का अंतिम लक्ष्य हैं। इसके साथ ही ये देशों के मध्य ईमानदार और फलप्रद संवाद की अपरिहार्य शर्तें हैं। महाधर्माध्यक्ष मेमबेरती ने कहा कि मानवाधिकारों के विकास का इतिहास दिखाता है कि धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति सम्मान जिसमें अपने विश्वास को सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त करने और इसका प्रचार करने का अधिकार शामिल है, यह मानवाधिकारों की सम्पूर्ण इमारत की रचना करने का जरूरी पत्थर है।








All the contents on this site are copyrighted ©.