बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 29 सितंबर,
2010
रोम, 15 सितंबर, 2010 (सेदोक,वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला
में हकेबोर्न की संत मटिल्डा के जीवन पर मनन चिन्तन करें। संत मटिल्डा, तेरहवीं शताब्दी
की उन महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने साक्सोनी के हेलफ्ता के कॉन्वेन्ट में शिक्षा
ग्रहण कीँ।
संत मटिल्डा ने अपने युवाकाल में ही हेलफ्ता के कॉन्वेन्ट में प्रवेश
किया और वहाँ आध्यात्मिक और बौद्धिक प्रशिक्षण पाया। इस कॉन्वेन्ट में प्रशिक्षण का आधार
था पवित्र धर्मग्रंथ बाईबल, पूजन विधि और आदि कलीसियाई धर्माचार्यों के द्वारा सिखायी
गयी शिक्षा।
ऐसे धार्मिक वातावरण में बाईबल का गहन अध्ययन करने के बाद उन्हें
जो प्रेरणायें मिलीं उससे संत मटिल्टा ने कई प्रार्थनायें बनायीं जो लोगों का आध्यात्मिक
जीवन के लिये हितकारी सिद्ध हुआ और कई लोगों को उन प्रार्थनाओं से सांत्वना प्राप्त
हुई।
बाद में मटिल्डा की धार्मिकता, नम्रता और बौद्धिक क्षमता से प्रभावित होकर
उन्हें नवशिष्यालय का नोविस मिस्ट्रेस, पूरे स्कूल की निदेशिका और गायक दल की संचालिका
का कार्यभार सौंपा गया।
यह वही समय है जब उन्होंने गेरट्रुड नामक शिष्या का मार्गदर्शन
किया जिसे कलीसिया ने बाद में संत घोषित किया।
संत मटिल्डा का जीवन प्रार्थनामय,
येसु से संयुक्त, पवित्र धर्मग्रंथ पर आधारित, पवित्र यूखरिस्तीय संस्कार से पोषित और
येसु के पवित्र ह्रदय को समर्पित था।
आज हम संत मटिल्डा की मध्यस्थता से प्रार्थना
करें कि हम भी उन्हीं के समान ही धर्मग्रंथ पर आधारित प्रार्थनामय समर्पित जीवन जीयें।
इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने ब्रिटेन, आयरलैंड, डेनमार्क,
नाईजीरिया, ऑसियाना, फिलिपीन्स, उत्तरी अमेरिका, इंगलिश कॉलेज और आइरिस कॉलेज धर्मबन्धुओं,
क्राइस्ट चाइल्ड सोसायटी के सदस्यों, ओहियो के धर्माध्यक्ष लियोनार्ड ब्लेयर एवं तीर्थयात्रियों,
उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु येसु की कृपा और शांति का कामना
करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।