बुधवारीय-आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 22 सितंबर,
2010
रोम, 15 सितंबर, 2010 (सेदोक) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त
सोलहवें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को
विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
मेरे अति प्रिय भाइयो एवं
बहनों, आज मैं आपको बताना चाहता हूँ पिछले सप्ताह मैंने यूके की प्रथम प्रेरितिक यात्रा
की जो बहुत ही सफल रही।
इस चार दिवसीय प्रेरितिक यात्रा से ग्रेट ब्रिटेन
और वाटिकन के बीच के आपसी संबंध में एक नया अध्याय जुड़ गया है। मैं उन सभी लोगों को
जिन्होंने इस यात्रा के सफल आयोजन में अपना बहुमूल्य योगदान दिया उन्हें मेरी सस्नेह
कृतज्ञता प्रकट करता हूँ।
पिछले वृहस्पतिवार को स्कॉटलैंड की ऐतिहासिक राजधानी
इडिनबर्ग में महारानी और राजकुमार ने मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया।
बाद
में मैंने ग्लासगावो के बेलाहाउस्टन पार्क में हज़ारों विश्वासियों धर्माध्यक्षों. पुरोहितों,
धर्मबन्धुओं एवं धर्मबहनों के साथ यूखरिस्तीय बलिदान चढ़ाया। यह वही पावन स्थान था जहाँ
पर 28 वर्ष पहले संत पापा जोन पौल द्वितीय ने भी ख्रीस्तायाग सम्पन्न किया था।
बाद
में लंदन पहुँच कर मैं हज़ारों काथलिक विद्यार्थियों और स्कूली बच्चों से मुलाक़ात की।
मैंने देखा कि शिक्षा के क्षेत्र में काथलिक शिक्षक-शिक्षिकाओं का योगदान अति महत्त्वपूर्ण
है। इसी दिन मैं विभिन्न धर्म के प्रतिनिधियों से भी मुलाक़ात की जहाँ इस बात की चर्चा
हुई कि सभी धर्म के धर्मावलंबी पवित्रता की खोज़ में लगे हुए हैं।
इसी दिन
मुझे कंटेरबरी के महाधर्माध्यक्ष से भी मिलने का सुनहरा अवसर मिला। वैसे तो हमारी मुलाक़ात
कई बार रोम में हो चुकी है पर लंदन के लैम्बेथ पालेस में इंगलैंड की कलीसिया के महाधर्माध्यक्षों
के साथ हुई मुलाक़ात सौहार्दपूर्ण रही। इसके बाद जिन लोगों से मुझे मिलने का सुअवसर मुझे
प्राप्त हुआ वह अद्विती था। मैंने वेस्टमिन्सटर हॉल में एकत्रित यूके पार्लियामेंट
के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया। यहाँ मैंने जिस विषय पर बातचीत की वह थी
धर्म और विवेक का फलदायी समन्वय। यह वही विषयवस्तु थी जो संत थोमस मोर के समय भी बहुत
मह्त्त्वपूर्ण थी और आज भी प्रासंगिक है।
उसी दिन एक समय ऐसा भी आया जब मैंने
कंटेरबरी का महाधर्माध्यक्ष के साथ वेस्टमिन्सटर के संत एडवर्ड की कब्र के समीप घुटने
टेक कर प्रार्थना किये। इसी समय मैंने महाधर्माध्यक्ष के साथ जो स्कॉटलैंड के मोडेरेटर
के साथ ईश्वर को उस कृपा के लिये धन्यवाद दिया जिसने विभिन्न कलीसियाओं के साथ एक साथ
मिलकर रहने और कार्य करने की शक्ति प्रदान की है।
दूसरे दिन मैंने यूखरिस्तीय
समारोह के पूर्व ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमेरून, उप-प्रधानमंत्री निक्क क्लेग,
विपक्ष की नेता हैरियट हरमन मिला। इसके बाद मैंने अंग्रेजी संगीत परंपरा का आनन्द उठाते
हुए पूरी रोमन विधि में बारीकी से तैयार और अर्थपूर्ण बनाये गये पूजनविधि के आधार पर
वेस्टमिन्सटर के महागिरजाघर मिस्सा-पूजा सम्पन्न किया।
इसी दिन अपराह्न के
समय लिटल सिस्टर्स ऑफ पूअर द्वारा चलाये जा रहे एक संस्थान में वयोवृद्धों से मिलने का
सुअवसर प्राप्त हुआ। मैंने लिटल सिस्टर ऑफ द पूअर की धर्मबहनों को अनाथ बच्चों को शरण
देने के लिये प्रोत्साहन दिये और उनकी सराहना की।
उसी दिन हाइड पार्क में
आयोजित संध्याप्रार्थना सभा में हज़ारों लोगों ने प्रार्थनामय वातावरण में भक्तिपूर्वक
हिस्सा लिया। रविवार का दिन मैं बरमिंघम चला गया जहाँ यूखरिस्तीय समारोह में कार्डिनल
जोन हेनरी का धन्य घोषित किया गया। रविवार दिन का समापन ब्रिटेन के धर्माध्यक्षों से
मिलन का समय था जहाँ अनेको बिशपों ने हिस्सा लिया। लंदन से रोम के लिये रवाना होने
के पूर्व प्रधानमंत्री कैमरून ने अपने विदाई भाषण में इस बात का आश्वासन दिया कि उनकी
सरकार विकास के लिये हो रहे कार्यों में तेजी लायेगी और इसे जारी रखेगी।
रविवार
के जो कार्यक्रम थे उससे मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत संतुष्ट हुआ क्योंकि इसी दिन कार्डिनल
जोन हेनरी न्यूमन को कलीसिया ने धन्य घोषित किया । मैंने उनके लेखों को कई बार पढ़ा
है और मैं व्यक्तिगत रूप से उनका प्रशंसक रहा हूँ। धन्य जोन हेनरी न्यूमन ने सदा
ही खुले दिल से सत्य को जानने का प्रयास तो किया इसे पूर्ण उदारता के दूसरों बाँटने के
लिये अपनी सुविधाओं बलिदान करने से नहीं हिचके। उनका जीवन कलीसियाई सदस्य बनकर ईश्वरीय
प्रेम को जानने और उन्हें प्यार करने का साक्ष्य देने का एक अनुपम उदाहरण है। आज ईश्वर
से मेरी प्रार्थना है कि उनका उदाहरण हम सबों का प्रेरणाश्रोत बने।
इतना
कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने तीर्थयात्रियों, उपस्थित
लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु येसु की कृपा और शांति का कामना करते हुए
उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।