2010-09-19 11:54:55

सत्य के प्रेमियों को उत्पीड़न से भयभीत नहीं होना चाहिये, बेनेडिक्ट 16 वें


लन्दन के हाईड पार्क में शनिवार को रात्रि जागरण के अवसर पर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने स्मरण दिलाया कि सत्य को जानना सभी स्त्री पुरुषों के लिये ज़रूरी है किन्तु इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिये भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है और कभी कभी तो इसके लिये व्यक्ति को सब कुछ खो देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिसमें हम विश्वास करते हैं और जैसा जीते हैं उसमें बिलकुल भी अन्तर नहीं होना चाहिये। कथनी को करनी के अनुकूल होना चाहिये।
शनिवार सन्ध्या क्षितिज पर सूर्यास्त की लालिमा की पृष्टभूमि में, लन्दन के हाईड पार्क तक की छः किलो मीटर लम्बी यात्रा सन्त पापा ने अपनी पारदर्शी मोटरगाड़ी से पूरी की। सैकड़ों लोगों ने मार्गों के ओर छोर खड़े होकर उनका भावपूर्ण अभिवादन किया। प्रशंसकों की भीड़ में कुछेक विरोधियों का कोलाहल भी सुनाई पडा जो जयनारों एवं करतल ध्वनि के बीच दब कर रह गया।
ग़ौरतलब है कि काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष की यात्राओं के अवसरों पर कई बार छिटपुट विरोध प्रदर्शन देखें गये हैं। काथलिक कलीसिया की शिक्षा कॉनडोम के उपयोग, गर्भपात, समलिंगकामियों के बीच विवाह आदि की अनुमति नहीं देती तथा इन कृत्यों को पाप मानती है। इन्हीं शिक्षाओं को लेकर बहुत से स्वच्छन्द दल कलीसिया से असन्तुष्ट हैं और इसीलिये विरोध प्रदर्शित करते हैं। वे कलीसिया को दक़ियानूसी एवं रूढ़िवादी कहकर उसका बहिष्कार करते हैं। इसके अतिरिक्त, हाल के वर्षों में कुछेक पुरोहितों द्वारा बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार भी विरोध का एक कारण है। विरोधियों को कहना है कि काथलिक कलीसिया के वरिष्ठ अधिकारियों ने दुराचार को रोकने तथा आरोपियों को दण्डित करने के लिये उपयुक्त कदम नहीं उठाये।
इसके प्रत्युत्तर में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि सत्य के पक्षधरों को उत्पीड़न से विचलित नहीं होना चाहिये। शनिवार को, कार्डिनल हेनरी न्यूमन की धन्य घोषणा की पूर्व सन्ध्या, सन्त पापा ने उन्हें काथलिक कलीसिया का महान आदर्श निरूपित किया तथा कहा कि कार्डिनल महोदय के समान ही हर काथलिक धर्मानुयायी को सत्य पर अटल रहना चाहिये तथा सत्य के ख़ातिर उत्पीड़न के लिये भी तैयार रहना चाहिये। सन्त पापा ने कहा कि आज भले ही प्राचीन काल की तरह लोगों को उनके विश्वास के ख़ातिर सार्वजनिक रूप से फाँसी नहीं लगाई जाती, क्रूसित नहीं किया जाता अथवा आग में झोंका नहीं जाता किन्तु आज भी सुसमाचार में अपने विश्वास की अभिव्यक्ति करनेवालों का बहिष्कार कर दिया जाता, उनकी हँसी उड़ाई जाती है।








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