2010-09-17 13:53:08

बेल्लाहाउस्टन पार्क, ग्लासगो में आयोजित यूखरिस्तीय समारोह में दिया गया संत पापा का प्रभाषण।


बेल्लाहटन, 17 सितंबर, 2010 (सेदोक, वीआर) मेरे अतिप्रिय बहनो एवं भाइयो, संत लूकस के सुसमाचार के 10वें अध्याय के नवा पद ‘ईश्वर का राज्य निकट आ गया है’ हमें इस बात की याद दिलाता है कि ईश्वर अपने शिष्यों को लगातार इस दुनिया में भेजते रहते हैं ताकि हम सुसमाचार का प्रचार हो सके और दुनिया में शांति का राज्य स्थापित हो सके।

मैं आपको इस बात की याद दिलाना चाहता हूँ कि तीस वर्ष पहले जोन पौल द्वितीय ने यही पर यूखरिस्तीय समारोह की अध्यक्षता की थी वहाँ संत पापा के स्वागत के लिये जितनी भीड़ जमा हुई थी वैसा स्कॉटलैंड के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया था। तब संत पापा जोन पौल ने आपको कहा था कि आप एक-दूसरे के साथ कंधे-से-कंधा मिला कर चलिये और इसको आपलोगों ने बहुत ही सकारात्मक तरीके से लिया और कलीसिया, धर्माध्यक्षों और अन्यों के साथ सहयोग किया था।

आज मैं उसी सहयोग की भावना को आगे बढ़ाने का प्रोत्साहन देता हूँ। आप प्रार्थना करना जारी रखें और स्कॉटलैंड की ख्रीस्तीय विरासत को बरकरार रखते हुए देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में अपना योगदान दें।

जैसा कि संत पौल ख्रीस्तीयों की एकता पर बल देते हुए कहा था कि ‘सभी ख्रीस्तीय एक ही मसीह के अभिन्न अंग हैं’ आज मैं भी आप भी आपसी प्रेम और सम्मान के साथ जीवन बितायें।

यह वर्ष स्कॉटलैंड के लिये मह्त्त्वपूर्ण है क्योंकि यह वर्ष स्कॉटलैंट पार्लियामेंट की पुनर्रचना की 450वी जयंती एडिनबर्ग में हुएवर्ल्ड मिशनरी कोन्फेरेंस की 100वीं वर्षगाँठ है जब अंतरकलीसियाई एकता के प्रयास को एक नयी दिशा मिली थी।

तीव्र गति से बदलती दुनिया के लिये आज भी अंतरकलीसियाई एकता और सहयोग अति महत्त्वपूर्ण है ताकि कलीसिया संगठित रूप से सत्य का साक्ष्य दे सके। मैं संत पौल की बातों को याद करना चाहता हूँ जिन्होंने कलीसिया के निर्माण के लिये धर्मशिक्षा पर सदा ही बल दिया था। उनका मानना था कि सुसमाचार प्रचार के लिये यह आवश्यक है कि व्यक्ति ईशवचन से प्रेरित हो।

संत पापा ने कहा कि वे चाहते है कि जो काथलिक अधिकारी है, राजनीतिज्ञ और शिक्षक है, उन्हें चाहिये कि वे स्कॉटिश संस्कृति के अनुरूप लोगों के विश्वास को सुदृढ़ करने में अपने अनुभव एवं क्षमता का प्रयोग करें।

आज सुसमाचार प्रचार की इसलिये भी अधिक ज़रूरत है क्योंकि लोग " सापेक्षवाद की निरंकुशता " के कारण मानव जीवन की सच्चाई को, अपने अंतिम लक्ष्य को और ईश्वर को देख नहीं पा रहे हैं।

आज कई लोग ऐसे है जो धार्मिक विश्वास को सार्वजनिक जीवन से अलग रखना चाहते हैं, कुछ इसे व्यक्तिगत जीवन का भाग मानते हैं, तो कुछ इसके बारे सोचते है कि यह समानता और स्वतंत्रता के लिये खतरा है। आज मैं बताना चाहता हूँ कि धर्म ही लोगों को सच्ची आज़ादी और सम्मान प्रदान करता है और इसी से लोग एक-दूसरे को भाई-बहन के रूप में आदर और सम्मान दे पाते हैं।

आज हमारे समाज को ज़रूरत है एक ऐसी आवाज़ की जो स्वतंत्रतापूर्वक जीने के अधिकार हक जताये, ताकि व्यक्ति सचमुच स्वतंत्र होकर समाज के कल्याण के लिये कार्य करे, न कि एकपक्षीय या अनियंत्रित स्वतंत्रता के धुन में खुद की बरबादी करे।

आज हम संत निनियान की याद करें जो एक ऐसा मिशनरी था जिसने अपने आपके बीच में येसु के संदेश को पहुँचाया और बाद में संत मुनगो, संत कोलुम्बा और संत मार्ग्रेट ने उसी मिशन को आगे बढ़ाया। संत पापा ने संत पौल के शब्दों में लोगों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे पूरे उत्साह के साथ धैर्य और आश लिये, ईश्वर की सेवा में लगे रहें। धर्माध्यक्ष येसु के प्रेम से प्रेरित होकर अपना जीवन जीयें, अपने पुरोहितों को ऐसा प्रशिक्षित करें कि उनका जीवन दूसरों के लिये प्रेरणा का श्रोत बन सके और वे सुसमाचार प्रचार के सच्चे संदेशवाहक बन सकें।

पुरोहितों से संत पापा ने कहा कि वे सुसमाचार का प्रचार सच्चे दिल और मन से करें, अपने को ईश्वर को पूर्ण रूप से समर्पित कर दें ताकि वे युवाओं को खुशी और संतुष्टिपूर्ण जीवन का एक अच्छा उदाहण दे सकें। उन्होंने मठवासियों, धर्मबहनों और अन्य धर्मसमाजियों से कहा कि दूसरों के लिये दीपक का कार्य करें।

संत पापा ने विश्वासियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें ज्ञात है कि दुनिया में अनेक प्रलोभन और बुराईयाँ जैसे - ड्रग, पैसा, यौन, अश्लील साहित्य नशा समाज में उपलब्ध हैं और जो शांति देने का दावा करते हैं पर येसु मसीह ही सच्ची खुशी और शांति दे सकता है।

अंत में संत पापा ने कहा कि स्कॉटवासियों को सदा ईश्वरीय शांति मिले और वे सदा ईश्वरीय कृपा में बने रहें।








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