थिरुअन्तापुरम, 13 सितंबर 2010 (उकान) केरल चर्च ने मुसलिम कट्टरपंथियों द्वारा इस्लाम
को कथित रूप से अपमानित करने वाले प्रोफेसर जोसेफ के निलंबन को उचित कहा है। चर्च का
मानना है कि कॉलेज प्रबंधन का निर्णय जायज़ है क्योंकि उन्होंने इस्लाम को अपमानित करने
का " ग़ैरज़िम्मेदाराना " कार्य किया था। उक्त बात की जानकारी देते हुए कोथामंगलम
के धर्माध्यक्ष जोर्ज पुन्नुकोत्तिल ने पूरे धर्मप्रांत के लिये एक पत्र जारी करते हुए
कहा कि प्रोफेसर को कॉलेज से निलंबित करने का कदम बहुत खोजबीन करने के बाद लिया गया है
और चर्च अपने इस निर्णय पर अडिग है। उकान समाचार ने बताया कि धर्माध्यक्ष के पत्र
को कोथामंगलम के सभी 155 पल्लियों में पढ़कर सुनाया गया। विदित हो कि चर्च की ओर
से प्रोफेसर टी. जे. जोसेफ के निलंबन की सूचना उस समय दी गयी जब वह अपने कटे हाथ के इलाज़
के लिये अस्पताल में भर्ती थे। धर्माध्यक्ष ने बताया कि कॉलेज प्रबंधन ने प्रोफेसर टीजे
जोसेफ की सेवा पिछले मार्च में उस समय स्थगित कर दी थी जब उनके द्वारा प्रश्न पेपर में
‘जानबूझकर’ पैगम्बर मुहम्मद के अपमान की शिकायत की गयी थी। इस संबंध में उसी के
बाद से छानबीन चल रही थी और अंततः उन्हें बर्ख़ास्त करने का निर्णय लिया गया। विदित हो
कि राज्य शिक्षामंत्री और महात्मा गाँधी यूनिवर्सिटी सिन्डीकेट ने कॉलेज प्रबंधन की
खुल कर आलोचना की थी। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि जानबूझकर किये गये ‘गैऱज़िम्मेदार
करतूत’ के लिये उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। इस्लाम कट्टरपंथी पूरे कॉलेज को ही इसके लिये
दोषी ठहरा रहे थे। उधर प्रोफेसर टी. जे. जोसेफ ने कहा है कि कॉलेज प्रबंधन का यह आरोप
लगाना कि मैंने " जानबूझ कर गलती की, ग़लत है क्यों मैंने अपने कार्यों के लिये कॉलेज
प्रबंधन से माफी माँग ली थी। " उन्होंने कहा कि वे अपनी फरियाद अदालत के रास्ते से करेंगे।
उधर धर्माध्यक्ष ने कहा है कि उनका कॉलेज धर्मनिर्पेक्षता के सिद्धांत का सम्मान
करता है और वे किसी भी सम्प्रदाय के अपमान को बर्दाश्त नहीं कर सकता। अगर लड़ाई अदालत
तक पहुँचती है तो कॉलेज अदालत के फ़ैसले को मानने को तैयार है।