2010-09-14 12:42:34

कास्टेल गोन्दोल्फोः समाज से धर्म विलुप्त हो रहा है, चेतावनी बेनेडिक्ट 16 वें की


रोम शहर के परिसर में कास्टेल गोन्दोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद में सोमवार को, परमधर्मपीठ के लिये, जर्मनी के नये राजदूत वॉल्टर यूरगन श्मिड का प्रत्यय पत्र स्वीकार करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि वर्तमानकालीन समाज से धर्म दूर होता चला जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे विवाह तथा गर्भ के प्रथम क्षण से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक मानव व्यक्ति के सम्मान पर ही ख़तरा उत्पन्न हो गया है।
अपने सम्बोधन में सन्त पापा ने इस बात की शिकायत की कि सामान्य तौर पर समाज में "धर्म के प्रति कोई खास आकर्षण नहीं रह गया है", तथा ख्रीस्तीय धर्म के "वैयक्तिक ईश्वर" पर विश्वास की जगह एक ऐसे "ईश्वर" ने ले ली है जो श्रेष्ठ, रहस्यमय तथा अनिश्चित्त प्राणी है जिसका मनुष्यों के साथ केवल एक अस्पष्ट सम्बन्ध है।
सन्त पापा ने कहा कि ऐसी स्थिति में बुराई और भलाई के बीच अन्तर करना असम्भव हो जाता है तथा बुराई और भलाई एक दूसरे के विरोधी नहीं रह जाते जिसके परिणामस्वरूप मनुष्य अपने विकास के लिये आवश्यक नैतिक और आध्यात्मिक शक्ति खो देता है। सामाजिक कार्य निजी स्वार्थ तले दब जाते हैं अथवा समाज कल्याण के नाम पर सत्ता का गणित लगाया जाने लगता है।
इसके विपरीत, सन्त पापा ने कहा, "यदि ईश्वर का विचार व्यक्ति रूप में किया जाता तथा सृष्टि निकाय में उनकी उपस्थिति को स्वीकार किया जाता है तो मूल्यों की प्रतिष्ठापना होती तथा मानव के सर्वांगीण विकास को जगह मिलती है।
विवाह की पवित्रता पर बल देते हुए सन्त पापा ने कहा कि विवाह एक पुरुष एवं एक स्त्री के बीच विद्यमान प्रेम में प्रकट होता है जो मानव जीवन के प्रसार की तरफ भी अभिमुख रहता है। उन्होंने कहा कि पारम्परिक विवाह एवं परिवार के किसी भी अन्य विकल्प को स्वीकारा नहीं जा सकता क्योंकि इससे प्रकृतिक विधान के सिद्धान्त दुर्बल होते तथा समाजिक मूल्यों में अस्त व्यस्तता उत्पन्न होती है।








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