नई शिक्षा नीति को लागू कराने के लिये और अधिक प्रयास की ज़रूरत
नई दिल्ली, 4 सितंबर, 2010 ( उकान) काथलिक कलीसिया के शिक्षा से जुड़े बुद्धिजीवियों
ने कहा है कि तीन वर्ष पहले भारतीय धर्माध्यक्षों द्वारा प्रस्तावित गरीबों और कमजोरों
के लिये बनी शिक्षा नीति को लागू कराने के लिये और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता
है। ज्ञात हो कि सन् 2007 में हैदराबाद में सम्पन्न अधिवेशन में भारतीय कलीसिया के
36 प्रतिनिधियों ने अखिल भारतीय कैथोलिक शिक्षा नीति बनायी थी। इस प्रस्ताव में कहा
गया था कि हर कैथोलिक को यह अधिकार है कि वह कैथोलिक स्कूलों में पढ़े और ऐसा कभी नहीं
होना चाहिये कि एक कैथोलिक अर्थाभाव के कारण वह शिक्षा पाने से वंचित रह गया हो। प्रतिनिधियों
ने 26 से 29 तक आयोजित सभा में इस बात को फिर से बल दिया है कि गरीबों के लिये बनायी
गयी शिक्षा नीति को लागू कराने के उपाय खोजे जायें। उन्होंने लोगों से माँग की है कि
वे अपने क्षेत्र में हो रही अनियमितताओं के संबंध में सही रिपोर्ट भेजें। सभा के सदस्यों
ने इस बात पर भी बल दिया कि वे शिक्षा और संस्कृति के लिये बनी धर्माध्यक्षीय आयोग देश
की क्षेत्रीय समितियों के साथ मिलकर लोगों के बीच इस संबंध में चेतना जागरण कार्यक्रम
चलाये। प्रतिनिधियों ने भविष्य योजना की एक रूपरेखा भी बनायी है ताकि आनेवाले दिनों
में इसे लागू किया जा सके। उल्लेखनीय है कि काथलिक कलीसिया पूरे देश में करीब 20 हज़ार
शिक्षण संस्थायें चलातीं हैं जिसमें 10 लाख से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं।
ग़ौरतलब है कि इसमें 59 फीसदी शिक्षण संस्थायें सुदूर देहातों में हैं।