2010-08-31 12:09:56

नई दिल्लीः कॉमनवेल्थ गेम्स में नौकरी दिलाने के बहाने मानव तस्करी


नई दिल्ली स्थित ग़ैरसरकारी मानवाधिकार संस्था शक्तिवाहिनी ने आरोप लगाया है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम पर मानव तस्करी यानि ह्यूमन ट्रैफिकिंग धड़ल्ले से चल रही है। संस्था का दावा है कि कॉमनवेल्थ में काम दिलाने का झांसा देकर उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से इन दिनों लगातार नाबालिग लड़कियों और बच्चों दिल्ली में लाए जा रहे हैं। शक्तिवाहिनी के कार्यकर्त्ता ऋषिकांत ने बताया कि उक्त राज्यों से बच्चों एवं नाबालिग लड़कियों को लाकर दिल्ली के रेडलाइट एरिया या अलग-अलग प्लेसमेंट एंजेसियों को बेच दिया जाता है। उन्होंने बताया कि केवल अगस्त महीने में ही 45 लड़कियों एवं बच्चों को नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन व रेड लाइट एरिया से छुड़ाया जा सका।
कॉमनवेल्थ गेम्स में नौकरी दिलाने के नाम पर झारखंड से दिल्ली लाई गई एक 16 वर्षीया पीड़िता का कहना था कि एंजेट ने उसके निर्धन माता पिता को उसके लिये 3-4 हजार की नौकरी का आश्वासन दिया था किन्तु दिल्ली आते ही उसे रेडलाइट एरिया भेज दिया गया जहाँ से एक ग़ैरसरकारी संस्था ने उसे छुड़ाया।
इस बीच, बी.बी.सी की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन का ग्लासगो जैसा शहर भी मानव तस्करी की समस्या से जूझ रहा है। 2014 में ग्लासगो में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर स्कॉटलैंड की संसद में ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक बड़ा मुद्दा बन कर उभरा है। यह चिंता जताई जा रही है कि गेम्स के कारण होने वाली ह्यूमन ट्रैफिकिंग को कैसे रोका जाए। वहां फिलहाल ब्राजील, चीन व नाइजीरिया जैसे देशों से लड़कियां लाकर उन्हें बड़े पैमाने पर देह व्यापार की दुनिया में धकेल दिया जाता है।










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