2010-08-27 16:25:29


ईद उल फित्र पर्व को देखते हुए अंतर धार्मिक वार्ता संबंधी परमधर्मपीठीय समिति का संदेश


अंतर धार्मिक वार्ता संबंधी परमधर्मपीठीय समिति ने मुसलमानों के पवित्र रमजान महीने के अंत में मनाये जानेवाले पर्व ईद उल फित्र को देखते हुए शुक्रवार को एक संदेश जारी कर मुसलमानों के लिए आनन्द और शांति की कामना की है। क्रिश्चियन्स एंड मुस्लिमस टूगेदर इन ओवर कमिंग वायलेन्स अमंग फोलोवर्स ऑफ डिफरेन्ट रेलिजन्स शीर्षक से लिखे पत्र में परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल ज्यां लुई तोरान और सचिव महाधर्माध्यक्ष पियेर लुईजी चेलाता ने हस्ताक्षर किये हैं। ईसाईयों और मुसलमानों के मध्य अंतर धार्मिक समझदारी के लिए किये गये प्रयासों का स्मरण करते हुए पत्र के शीर्षक की समसामियकता पर बल दिया गया है जि विश्व के कुछेक भागों में ज्वलंत विषय है। अंतर धार्मिक वार्ता संबंधी परमधर्मपीठीय समिति और एकेश्वरवादी धर्मों के मध्य वार्ता संबंधी अल अजहर विश्वविद्यालय की स्थायी समिति द्वारा गठित संयुक्त समिति ने भी कैरो में 23 से 24 फरवरी तक आयोजित बैठक के लिए भी इसी विषय को चुना था।

संदेश में कहा गया है कि विभिन्न धार्मिक परम्पराओं के विश्वासियो के मध्य हिंसा होने के अनेक कारण हैं जैसै राजनैतिक या अन्य लाभ के लिए धर्म का दुरूपयोग, जातीयता या धार्मिक अस्मिता के आधार पर भेदभाव, सामाजिक तनाव और विभाजन, अज्ञानता, निर्धनता, अल्पविकास या फिर धार्मिक समुदायों के मध्य हिंसा के अन्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष स्रोत हैं। नागरिक और धार्मिक नेता सार्वजनिक हित में अपना योगदान दें। कानून और विधान के शासन की प्राथमिकता को बनाये रखें, न्याय सुनिश्चित करें ताकि हिंसा के षडयंत्रकारियों और प्रसारकों को रोका जा सके। समस्या के समाधान के लिए अनेक उपायों का प्रस्ताव किया गया है जिनमें शामिल हैं- परस्पर क्षमा और मेलमिलाप तथा शांतिपूर्ण और फलप्रद सह अस्तित्व लिए अपने दिलों को खोलना, वार्ता की संस्कृति के आधार रूप में जो सबमें विद्यमान है उसे पहचानना,मान्यता देना तथा भिन्नताओं का सम्मान करना, जातीयता या धर्म का भेदभाव किये बिना ही प्रत्येक जन की मर्यादा और अधिकार का सम्मान करना, सब लोगों की बुनियादी समानता की गारंटी दनेवाले सुसंगत कानूनों का निर्माण कर प्रसार करना, शिक्षा के विभिन्न स्थलों- घर, विद्यालय, चर्च और मस्जिद में सम्मान, संवाद और बंधुत्व का प्रसार करने के लिए शिक्षा के महत्व का स्मरण करना। इस प्रकार से विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के मध्य हिंसा का विरोध किया जा सकेगा तथा विभिन्न धार्मिक समुदायों के मध्य शांति और सद्भावना का प्रसार कर सकेंगे। धार्मिक नेताओं की शिक्षा तथा विद्यालयों की पुस्तकों में धर्मों को वस्तुनिष्ठ रूप से प्रस्तुत कर भावी पीढियों के शिक्षण में प्रभावी असर डाला जा सकेगा।
कार्डिनल तुरान और सचिव महाधर्माध्यक्ष चेलाता की आशा है कि ऊपर वर्णित विचारों और समाधान के उपायों से मुसलमान और मसीही समुदाय संवाद करने के क्षेत्र में ज्यादा योगदान देंगे और परस्पर सम्मान तथा शांति के मनोभाव में बढ़ेंगे।








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