आरमाघ, आयरलैण्डः 1972 के बमकाण्ड में आरोपी पुरोहित पर धर्माध्यक्षों का वकतव्य
आयरलैण्ड में आरमाघ के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल शॉन ब्रेडी तथा डेरी के धर्माध्यक्ष सीमुस
हेगार्थी ने, सन् 1972 के बमकाण्ड पर 24 अगस्त को प्रकाशित पुलिस की रिपोर्ट पर अपनी
प्रतिक्रिया दर्शाई जिसमें एक काथलिक पुरोहित पर भी आरोप लगाया गया है। धर्माध्यक्षों
ने इस बात पर बल दिया है कि कलीसिया ने किसी भी प्रकार के अपराधिक कृत्य पर पर्दा नहीं
डाला था। ग़ौरतलब है कि उक्त रिपोर्ट 31 जुलाई सन् 1972 के बमकाण्ड के बारे में है
जिसमें तीन कार बम शामिल थे। विस्फोटों में नौ व्यक्तियों के प्राण चले गये थे। मरनेवालों
में एक आठ वर्षीया बालिका तथा दो किशोर भी सम्मिलित थे। धर्माध्यक्षों ने इस बात
की पुष्टि की कि "हम इस क्रूरता से हुई भयावह मानवीय क्षति को अनदेखा नहीं कर सकते जिसमें
बच्चों सहित नौ व्यक्तियों ने अपनी जान गँवाई। अनेक घायल हो गये। अन्य अनेक बेघर हो गये
अथवा अपनी जीविका खो बैठे। छोटे से नगर का सम्पूर्ण समुदाय निर्दोष लोगों पर हुए उक्त
आक्रमण से आतंकित हुआ।" उक्त आक्रमण में कलीसिया की आरोपित भूमिका के विषय में स्पष्टीकरण
देते हुए धर्माध्यक्षों ने इस बात पर बल दिया इस सिलसिले से संलग्न सभी दस्तावेज़ पुलिस
के हवाले कर दिये गये थे। मंगलवार को प्रकाशित पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार काथलिक
पुरोहित फादर जेम्स चेसनी इस बमकाण्ड से संलग्न थे। 46 वर्ष की आयु में चेसनी की मृत्यु
सन् 1980 में हो गई थी। कार्डिनल ब्रेडी तथा धर्माध्यक्ष हेगार्थी ने कहा कि फादर
चेसनी के जीवित रहते ही इस प्रकरण की जाँचपड़ताल की जानी चाहिये थी और यदि उन्हें अपराधी
घोषित करने के लिये पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध थे तो किसी भी अन्य आरोपी की तरह उन्हें भी
गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ करना आवश्यक था। धर्माध्यक्षों ने स्मरण दिलाया कि जाँचपड़ताल
के दौरान फादर चेसनी ने सभी आरोपों से साफ इनकार कर दिया था। उन्होंने इस बात पर बल दिया
कि अब तक पुलिस को, कलीसिया के किसी भी अधिकारी के अपराधिक उद्देश्य का प्रमाण नहीं मिला
है।