कास्टेल गोन्दोल्फोः फ्राँस से खानाबदोशों के निष्कासन के बाद बेनेडिक्ट 16 वें ने सहिष्णुता
का आह्वान किया
फ्राँस में निवास करनेवाले खानाबदोशों को उनके अपने देश वापस भेजने का अभियान जारी रहने
की पृष्टभूमि में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार करने
तथा बच्चों को सहिष्णुता सिखाने का आह्वान किया है।
22 अगस्त को, रोम शहर के
परिसर में कास्टेल गोदोल्फो में, देवदूत प्रार्थना के बाद, तीर्थयात्रियों को फ्रेंच
भाषा में सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा कि रविवार के लिये निर्धारित सुसमाचार पाठ मनुष्यों
के बीच विद्यमान अन्तर को स्वीकार करने हेतु प्रभु येसु के आमंत्रण की प्रस्तावना करते
हैं जो प्रत्येक राष्ट्र एवं प्रत्येक भाषा के स्त्री पुरुषों को एकजुट करने आये थे।
अभिभावकों से सन्त पापा ने कहा, "प्रिय माता पिता अपने बच्चों को सार्वभौमिक
भ्रातृत्व की शिक्षा देने में आप समर्थ बनें।"
फ्राँस की सरकार ने विदेशों
में जन्में रोमा जाति या खानाबदोशों को निष्कासित करने तथा उनके अवैध शिविरों को तोड़ने
का फैसला किया है। इसी फैसले के तहत 19 अगस्त को रूमानियाई मूल के 80 खानाबदोशों को फ्राँस
से निष्कासित कर दिया गया था। स्वदेश लौटने वाले प्रत्येक वयस्क को 380 अमरीकी डालर तथा
प्रत्येक बच्चे के लिये 130 अमरीकी डालर दिये जा रहे हैं। रोमानिया के विदेश मंत्रालय
के अनुसार सितम्बर माह के अन्त तक खानाबदोशों को रूमानिया निष्कासित करना जारी रहेगा।
मानवाधिकार संगठनों ने फ्राँस की इस भेदभाव वाली नीति की कड़ी निन्दा की है तथा
स्मरण दिलाया है कि रूमानिया के खानाबदोश भी यूरोपीय संघ के सदस्य है। उनका कहना है कि
अन्य यूरोपीय नागरिकों के समान ही उन्हें भी यूरोपीय संघ के देशों में आवागमन की स्वतंत्रता
मिलनी चाहिये।
यूरोप में खानाबदोशों की संख्या लगभग एक करोड़ 20 लाख है।