भारत के कर्नाटक राज्य में बंगलोर के महाधर्माध्यक्ष बर्नड मोरास ने कर्नाटक के राज्यपाल
और मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे मंत्रियों और विधायकों को भड़काने और अपमानित
करनेवाले वक्तव्य नहीं देने के लिए निर्देश दें। यह अपील 15 अगस्त को भाजपा विधायक प्रह्लाद
रेमाने की राज्य से ईसाईयों को समूल समाप्त कर देने की टिप्पणी के बाद राज्यपाल एच आर
भारद्वाज और मुख्यमंत्री बी एस येदुयेरप्पा को भेजी गयी है। उन्होंने बेलगाम जिला में
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिये गये सम्बोधन के समय उक्त टिप्पणी की थी। कर्नाटक
क्षेत्रीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष मोरास चाहते हैं कि
सब अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया जाये कि वे विभिन्न धर्मावलम्बियों के विरूद्ध
उत्तेजना फैलानेवाले बयान और टिप्पणी नहीं दें। उन्होंने कहा कि ईसाईयों को बहुत दुःख
हुआ है कि रेमाने ने ईसाईयों पर झूठे आरोप लगाये हैं कि वे लोगों को अवैध तरीकों से धर्मान्तरण
करते हैं। रेमाने ने कहा कि जब ब्रिटिशों ने 1947 में देश छोड़ा तो दो गलत चीज किये।
उन्होंने पाकिस्तान बनाने के लिए भारत का विभाजन करने की अनुमति दी तथा ईसाईयत का बीज
छोड़ दिया। उन्होंने लोगों से कहा कि समाज से ईसाईयों को उखाड़ बाहर करो। महाधर्माध्यक्ष
ने कहा कि रमाने ने यह टिप्पणी ऐसी सभा में की जहाँ सब धर्मों के लोग स्वतंत्रता दिवस
समारोह के लिए राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए आये थे। उन्होंने
कहा कि अन्यायी और असंगत टिप्पणी कुछेक जनप्रतिनिधियों की मानसिकता को व्यक्त करती है।
महाधर्माध्यक्ष मोरास ने इस अपील की प्रतियाँ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष मोहम्मद
शफी कुरैसी तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन को
भी भेजा है। इस बीच स्थानीय भाजपा नेताओं ने उक्त विवादित टिप्पणी से स्वयं को अलग
करते हुए कहा है कि इस प्रकार की टिप्पणी का पार्टी समर्थन नहीं करती है। बेलगाम के भाजपा
सांसद सुरेश अंगार्दी तथा स्थानीय सांसद संजय पाटिल तथा अन्य भाजपा नेताओं ने उक्त टिप्पणी
से स्वयं को अलग कर लिया है।