श्री लंकाः कोलोम्बो के महाधर्माध्यक्ष ने देश में शांति एवं एकता का आह्वान किया
कोलोम्बो के महाधर्माध्यक्ष मैलकम रणजीत ने श्री लंका के उत्तर एवं दक्षिण के बीच शांति
का आह्वान किया है। विगत सप्ताह राजधानी कोलोम्बो में देश के काथलिक धर्माध्यक्षों, पुरोहितों,
धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों का सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन को सम्बोधित कर महाधर्माध्यक्ष
रणजीत ने देश उत्तरी एवं पूर्वी क्षेत्रों में उत्पीड़न के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति
का प्रदर्शन किया तथा काथलिक पुरोहितों एवं धर्मबहनों से अपील की कि वार्ताओं को प्रोत्साहित
कर वे सबके बीच शांति एवं पुनर्मिलन का प्रयास करें। उन्होंने कहा, "केवल वार्ताओं द्वारा
ही विभिन्न समुदायों के बीच मैत्री और मेल मिलाप तथा देश में राष्ट्रीय एकता की स्थापना
सम्भव है।" सम्मेलन के प्रतिभागियों ने समापन से पूर्व एक वकतव्य जारी कर देश के उत्तरी
एवं पूर्वी भागों में नागर कानून एवं व्यवस्था की वापसी, सेना द्वारा आचार संहिता के
अनुपालन, आपातकालीन स्थिति के समापन तथा तमिलों का बहिष्कार करनेवाली सरकार समर्थित उपनिवेशीकरण
नीति के अन्त का आह्वान किया। इस बीच, श्रीलंका के गृह युद्ध की जांच के लिए सरकार
द्वारा गठित आठ सदस्यों वाला जांच आयोग 'कमिशन ऑन लेसन्स लर्न्ड ऐंड रिकॉनसिलिएशन',
की पहली सार्वजनिक बैठक बुधवार को तय थी। मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि विगत
वर्ष समाप्त गृह युद्ध में, श्रीलंकाई सेना और तमिल विद्रोहियों, दोनों पक्षों ने युद्ध
अपराध किए थे। इससे पूर्व संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून ने श्रीलंका
में कथित मानवाधिकार हनन मामलों की जाँच के लिये एक सलाहकारी पैनल की घोषणा की थी किन्तु
श्रीलंका की सरकार ने इस पर आपत्ति जताकर कहा था कि सरकार गृह युद्ध की जांच के लिए किसी
अंतरराष्ट्रीय जाँच पड़ताल को आवश्यक नहीं मानती। श्री लंका सरकार का कहना है कि सेना
ने कोई युद्ध अपराध नहीं किए हैं। नवगठित आयोग के बारे में सरकार का कहना है कि इस आयोग
से उसका पक्ष सिद्ध हो सकेगा।