बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश
बुधवारीय आमदर्शन समारोह कास्तेल गोंदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में आयोजित
किया गया। इस अवसर पर संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उपस्थित तीर्थयात्रियों को इताली
भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज की पूजनधर्मविधि
में हम निर्धन क्लारा धर्मसंघ की संस्थापिका असीसी की संत क्लारा का स्मरण करते हैं।
मैं आगामी धर्मशिक्षा माला में आकर्षक छवि वाली इस महान संत के बारे में कहूँगा लेकिन
इस सप्ताह जैसा कि मैंने रविवार को व्यक्त किया कि हम कुछेक शहीदों का स्मरण करते हैं।
पहली सदी की कलीसिया तथा शहीद उपयाजक संत लौरेन्स, पोप संत पोनसियन और पुरोहित संत हिप्पोलिटस,
क्रूस की संत तेरेसा बेनेडिक्ता, एडिथ स्टेंस यूरोप की संरक्षिका तथा संत मक्सीमिलियन
कोल्बे। इसलिए शहादत जो ईश्वर का पूर्ण प्रेम है इस पर मैं संक्षेप में कुछ कहना चाहता
हूं।
शहादत की बुनियाद कहाँ है ? इसका जवाब सरल है- येसु की मृत्यु, क्रूस
पर अर्पित प्रेम का सर्वोच्च बलिदान ताकि हम जीवन पा सकें। येसु ख्रीस्त पीड़ा सहनेवाले
सेवक हैं जिनके बारे में नबी इसायस ने कहा कि जिन्होंने बहुतों के उद्धार के लिए अपने
प्राण दे दिये। येसु अपने शिष्यों से, हम में से प्रत्येक जन से कहते हैं कि प्रतिदिन
हम अपना क्रूस उठाकर पिता ईश्वर तथा मानवजाति के प्रति पूर्ण प्रेम के पथ पर उनका अनुसरण
करें। जो व्यक्ति अपना क्रूस नहीं उठाता और उनका अनुसरण नहीं करता है उसे और हमें वे
कहते हैं कि हम उनके योग्य नहीं हैं। जो व्यक्ति अपना जीवन सुरक्षित रखा है वह उसे खो
देगा और जिसने उनके कारण अपना जीवन खो दिया है वह इसे पायेगा। गेहूँ के दाने के तर्क
के अनुसार दाना मरता है और नवजीवन लाता है। येसु स्वयं, ईश्वर की ओर से गेहूँ का दाना
हैं। गेहूँ का दिव्य दाना जमीन पर गिराया जाता है, जो मर जाता है और इसके अंदर से विश्व
की व्यापकता में बहुत फल उत्पन्न करता हैं। शहीद अंतिम समय तक पूरी तरह से उनका अनुसरण
करते हैं।
फिर, शहादत का सामना करने के लिए शक्ति कहाँ से मिलती है? यह ताकत
मिलती है ख्रीस्त के साथ गहन और आंतरिक रूप से संयुक्त होने से क्योंकि शहादत का बुलावा
और शहादत मानवीय प्रयास का परिणाम नहीं है, लेकिन यह एक पहल का जवाब है। ईश्वर का बुलावा,
उनकी कृपा का उपहार है जो ख्रीस्त और उनकी कलीसिया के प्रति प्रेम की खातिर और इस प्रकार
दुनिया के लिए अपने जीवन को अर्पित करने में समर्थ बनाता है। यदि हम शहीदों की जीवन गाथा
पढ़ते हैं तब हम पीड़ा और मृत्यु के समय उनके साहस और उनकी शांतचित्तता से आश्चर्यचकित
हो जाते हैं। जो लोग विनीत हैं और ईश्वर पर पूरा भरोसा रखते हैं उनकी दुर्बलता में ही
ईश्वर का सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है। लेकिन इस तथ्य पर गौर करना महत्वपूर्ण
है कि ईश्वर की कृपा शहादत का सामना करनेवालों की स्वतंत्रता को दबाती या कम नहीं करती
है लेकिन इसे समृद्ध करती और बढ़ाती है। शहीद वह व्यक्ति है जो सर्वोच्च रूप से स्वतंत्र
है दुनिया की ताकत से आजाद, स्वतंत्र व्यक्ति जो एक अंतिम कृत्य में ईश्वर को अपना सारा
जीवन दे देता है। विश्वास, आशा और उदारता के सर्वोच्च कृत्य द्वारा स्वयं को अपने सृष्टिकर्ता
और मुक्तिदाता के हाथों सौंप देता है। अपने जीवन का बलिदान कर देता है ताकि क्रूस पर
येसु के बलिदान के साथ पूरी तरह संयुक्त हो सके। एक शब्द में कहा जा सकता है कि शहादत,
ईश्वर के असीम प्रेम के प्रत्युत्तर में प्रेम का महान कृत्य है।
प्रिय भाईयो
और बहनो, जैसा कि मैंने विगत बुधवार को कहा कि शायद हम सब शहादत के लिए नहीं बुलाये
गये हैं लेकिन हममें से कोई भी ख्रीस्तीय जीवन के उच्च स्तर को जीने के लिए, पवित्रता
के दिव्य बुलावे से अलग नहीं किया गया है और इसका अर्थ है प्रतिदिन अपना क्रूस उठाना।
प्रत्येक जन, विशेष रूप से वर्तमान समय में जब व्यक्तिवाद और स्वार्थ का प्रभुत्व है
हमें यह पहला और मौलिक समर्पण के रूप में लेना चाहिए कि प्रतिदिन ईश्वर और अन्यों के
प्रति प्रेम में बढ़ें ताकि अपने जीवन में पूर्ण परिवर्तन ला सकें और दुनिया को भी बदल
दें। हम संतों और शहीदों की मध्यस्थता द्वारा ईश्वर से याचना करें कि वे हमारे दिलों
को आलोकित करें ताकि हम भी हमें वे जैसा प्रेम करते हैं उसी तरह प्रेम करने में हम भी
सक्षम बन सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासियों और तीर्थयात्रियों
को अन्य यूरोपीय भाषाओं में भी सम्बोधित किया। समारोह के अंत में उन्होंने सबको अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।