2010-08-11 12:11:59

उड़ीसाः धर्मबहन के शीलहरण प्रकरण में गवाह ने अपना बयाँ बदला


उड़ीसा के कन्धामाल ज़िले में, सन् 2008 की ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के दौरान बलात्कार की शिकार बनी काथलिक धर्मबहन के प्रकरण में एक गवाह ने मंगलवार को अपना बयाँ बदल दिया।
डीएनएइन्डिया.कॉम में प्रकाशित ख़बर के अनुसार कन्धामाल की एक अदालत में दिये बयाँ में देबदत्त नाईक नामक एक स्थानीय किसान ने कहा था कि 25 अगस्त सन् 2008 को जब धर्मबहन का बलात्कार किया गया था तब वह घटनास्थल पर उपस्थित नहीं था।
मंगलवार को कटक की अदालत में चल रहे मुकद्दमें के दौरान देबदत्त नाईक ने अपना बयाँ बदल दिया और कहा कि 23 अगस्त को हिन्दु नेता लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या के बाद भड़की ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के समय वह कंधामाल ज़िले में ही उपस्थित था। साथ ही 25 अगस्त को बालीगुड़ा स्थित गिरजाघर पर आक्रमण किया था तब भी वह घटना स्थल पर था।
अपने बयाँ में उसने कहा कि लगभग 60 हिन्दू चरमपंथियों ने हिन्दुत्व के नारे लगाकर गिरजाघर पर आक्रमण कर दिया था। गिरजाघर से संलग्न आश्रम में प्रवेश कर उन्होंने वहाँ के काथलिक पुरोहित एवं धर्मबहन की पिटाई की तथा उनके हाथ बाँधकर उन्हें सड़क पर घुमाया।
देबदत्त नाईक ने स्वीकार किया कि अपने पूर्व बयाँ में उसने सच नहीं बोला था।
ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के प्रकरणों पर पहले कन्धामाल में ही मुकद्दमा चल रहा था किन्तु गवाहों को हिन्दू चरमपंथियों द्वारा धमकियाँ मिलने के बाद काथलिक कलीसिया ने इन प्रकरणों की सुनवाई को कटक की अदालत में स्थानान्तरित करने की अपील की थी।








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