2010-08-09 16:27:51

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 8 अगस्त को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कास्तेल गोंदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
इस रविवार के सुसमाचार पाठ में येसु, ईश्वर की दृष्टि में व्यक्ति के महत्व तथा सांसारिक चिंताओं की निरर्थकता के बारे में शिष्यों को शिक्षा देना जारी रखे हैं। यह कार्यविहीन महिमामंडन नहीं है। लेकिन वस्तुतः येसु के उत्साहवर्द्धक आह्वान को सुनना डरो मत, तुम्हारा पिता तुम्हें स्वर्ग देने जैसा है, हमारे दिल को उस आशा के लिए खोलेगा और हमारे अस्तित्व संबंधी पक्ष को आलोकित करता है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि सुसमाचार न केवल चीजों के बारे में संवाद करती है जिन्हें जाना जा सकता है लेकिन यह वह है जो चीजों को पूरा करती है, जीवन में परिवर्तन लाती है। समय का काला भाग, भविष्य का दरवाजा खोल दिया गया है। जिस व्यक्ति के पास आशा है वह भिन्न प्रकार से जीवन जीता है, उसे एक नया जीवन दिया गया है।
जैसा कि हम आज की पूजनधर्मविधि में इब्रानियों के नाम पाठ में पढ़ते हैं अब्राहम भरोसा से भरे दिल से आगे बढ़ा कि ईश्वर खोलते हैं। प्रतिज्ञात भूमि, विशाल संतति तथा इस बात से अज्ञान कि वह कहाँ जा रहा है उन्होंने केवल ईश्वर पर भरोसा रखा। आज के सुसमाचार में येसु तीन दृष्टान्तों के द्वारा दिखाते हैं- धन्य आशा की पूर्णता, उनका पुनः आगमन द्वारा समृद्ध जीवन और भले कार्यों से पूर्ण जीवन जीने को बढ़ाना। जो तुम्हारे पास है उसे बेचकर निर्धनों को दान में दे दो, तुम्हारे पास वह होगा जो पुराना नहीं होता, स्वर्ग में सुरक्षित खजाना जहाँ न तो कोई चोरी कर सकता है और न कीड़े लग सकते हैं। यह ऐसा निमंत्रण है कि अभिमान रहित होकर साधनों का उपयोग करें धन सम्पत्ति और प्रभुत्व की तृष्णा नहीं लेकिन ईश्वर के तर्क, एक दूसरे की परवाह के तर्क तथा प्रेम के तर्क के अनुसार जीयें। रोमानो गुआरदिनी ने लिखा-संबंध के रूप में, ईश्वर से शुरू होकर ईश्वर की दृष्टि में।
मैं इस प्रसंग में कुछ संतों की और आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ जिनका पर्व हम इस सप्ताह मनायेंगे और जिन्होंने अपने जीवन को ईश्वर से आरम्भ कर उनकी ही दृष्टि में स्थापित किया। आज हम संत दोमनिक गुजमन का स्मरण करते हैं। 13 वीं सदी में दोमिनिकन धर्मसंघ के संस्थापक जिसका मिशन अध्ययन और प्रार्थना के माध्यम से समाज को विश्वास के सत्य के बारे में शिक्षित करना है। इसी समय हम असीसी की संत क्लारा का भी स्मरण करते हैं जिन्होंने निर्धन क्लारा धर्मसंघ की स्थापना कर फ्रांसिस्कन मिशन को जारी रखा। 10 अगस्त को हम पवित्र उपयाजक लौरेंस का स्मरण करते हैं तीसरी सदी के शहीद जिनके अवशेष की आराधना रोम स्थित सान लोरेन्जो आउटसाइड द वाल बासिलिका में की जाती है। अंततः हम बीसवीं सदी के दो अन्य शहीदों का स्मरण करते हैं जिन्होंने आउटसविज कैंप में वही यंत्रणा का सामना किया। 9 अगस्त को हम कार्मेलाइट संत, क्रूस की तेरेसा बेनेडिक्टा, एडिथ स्टेंस का तथा 14 अगस्त को फ्रांसिस्कन पुरोहित, मिलिसिया औफ मेरी इम्माकेलेट के संस्थापक संत मक्सीमिलियन कोल्बे का स्मरण करते हैं। दोंनों संतों ने जीवन और प्रेम के ईश्वर पर आशा खोये बिना ही द्वितीय विश्वयुद्ध के अंधकारमय युग को पार किया।


संतों की महारानी कुँवारी माता मरियम के समर्थन पर दृढ़ भरोसा रखते हैं जो हमारी तीर्थयात्रा में हमारे साथ रहती है। हम उनको अपनी प्रार्थना अर्पित करते हैं।


इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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