सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीर्थयात्रा अनुदान पर सुनवाई करने का निर्देश
भारत में कलीसिया के अधिकारियों ने आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा
एक याचिका पर फिर से सुनवाई करने के लिए दिये गये निर्देश का स्वागत किया है जिसमें ईसाई
तीर्थयात्रियों के लिए सरकार द्वारा अनुदान दिये जाने को चुनौती दी गयी थी। सुप्रीम कोर्ट
ने 2 अगस्त को पारित निर्देश में कहा है कि इन मामले पर चार माह के अंदर सुनवाई करे तथा
विगत वर्ष पारित अंतरिम आदेश के पर्यवेक्षणों से प्रभावित नहीं हो। ज्ञात हो कि उच्च
न्यायालय द्वारा जुलाई 2009 को पारित अंतरिम आदेश के अनुसार येरूसालेम जानेवाले ईसाई
तीर्थयात्रियों के लिए राज्य सरकार द्वारा दी जानेवाली वित्तीय सहायता पर रोक लगा दी
गयी। उक्त आदेश में उच्च न्यायालय ने किसी एक धर्म का प्रसार करने के लिए करदाताओं के
धन के उपयोग को अनुचित कहा था।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता
फादर बाबू जोसेफ ने सुप्रीम को्र्ट के हाल के निर्देश को सही दिशा में उठाया गया कदम
करार दिया है। चर्च औफ नोर्थ इंडिया के महासचिव रेवरेंड एनोस प्रधान ने सुप्रीम कोर्ट
के रूख को सकारात्मक कहते हुए कहा कि अनुदान दिया जाना धर्मनिरेपेक्ष सिद्धान्तों का
हनन नहीं करता है। यह अनुदान अल्पसंख्यकों के लिए राज्य सरकार द्वारा दिये जानेवाले कल्याणकारी
पैकेज का भाग है। उन्होंने कहा कि मुसमलानों को भी हज तीर्थयात्रा करने के लिए राज्य
सरकार मदद करती है। काथलिक लोकधर्मी नेता जोन दयाल ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के निर्णय
की प्रतीक्षा करेंगे।
ज्ञात हो कि आंध्रप्रदेश राज्य सरकार ने सन 2008 में ईसाई
तीर्थयात्रियों को येरूसालेम की तीर्थयात्रा करने के लिए इस योजना के प्रथम वर्ष में
10 मिलियन रूपये का प्रावधान किया था। इस राशि का आधा भाग 2009 में खर्च किया गया था
लेकिन उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के तहत अनुदान पर रोक लगा दी गयी।
कांफ्रेस
औफ रेलिजियस इंडिया के ब्रदर मनी मेकुनेल ने कहा कि वे यह देखना चाहते हैं कि यह योजना
केन्द्रीय सरकार पूरे देश में लागू करे।