2010-08-05 17:14:14

संत जोन मेरी वियान्नी " प्रेम के सच्चे क्रांतिकारी "


याजकों के परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष माउरो पियाचेंसा ने 4 अगस्त को मनाये गये संत जोन मेरी वियान्नी के पर्वदिवस पर प्रकाशित एक लेख में संत वियन्नी द्वारा ईश्वर तथा पड़ोसियों की अथक सेवा करने पर जोर देते हुए उन्हें प्रेम का सच्चा क्रांतिकारी की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि संत के जमाने में मानवीय तर्क को विश्वास और धार्मिक अभिव्यक्ति से अलग कर दिया गया था और कलीसिया के प्रति असहिष्णुता की भावना थी। इन सबके बीच फ्रांस में आर्स के पल्ली पुरोहित ने धर्म और विश्वास के मामले में वीरता का प्रदर्शन किया। कलीसिया की शिक्षा को असंगत और अवैध सिद्ध करने के प्रयासों के बीच संत वियन्नी ने सार्वजनिक और निजी तौर पर स्पष्ट रूप से प्रवचनों और धर्म शिक्षा द्वारा अथक प्रयास किया। वे स्वयं प्रार्थना बन गये तथा उनके सम्पर्क में जो भी आये उन्हें ईश्वर के साथ संबंध बनाने में सहायता किया।
जो लोग सत्ता में थे उन्होंने विश्वास और धर्म को समाप्त कर देना चाहा लेकिन संत जोन मेरी वियन्नी कदापि विचलित नहीं हुए। वे बहुधा प्रतिदिन लगभग 18 घंटे पाप स्वीकार सुनते थे और इस प्रकार उन्होंने सीमारहित उपलब्धता का प्रदर्शन किया जो ईश्वर के प्रति प्रेम के बारे में कहता है। उन्होंने सदगुणों को पूरी तरह स्वीकार किया और शुद्धता के प्रति निष्ठावान रहते हुए यथार्थ रूप से विनीत भाव में जीवन जीया। उन्होंने ब्रह्मचर्य को न केवल जरूरी परिणाम और न केवल कलीसिया के कानून माना लेकिन स्वयं को ईश्वर को पूर्ण रूप से देने के सच्चे कृत्य के रूप में स्वीकारा।
महाधर्माध्यक्ष पियाचेंसा ने कहा कि संत जोन मेरी वियन्नी सचमुच में तात्कालीन संस्कृति के विरोधी थे और प्रेम के यथार्थ क्रांतिकारी। इस संत के प्रति पुरोहित भ्रातृभावना में अपनी कृतज्ञता को नवीकृत करें तथा उनके उदाहरण और सदगुणों का अनेक लोग अनुसरण करें ताकि कलीसिया और विश्व में पवित्रता का सौंदर्य की कदापि कमी नहीं हो।








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