संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा ने पेयजल और शौचालय सुविधा तक पहुँच होने को मानवाधिकार
के रूप में स्वीकार करने के प्रस्ताव को शून्य के मुकाबले 121 मतों से पारित कर दिया
है। अमरीका और 40 देश इस प्रस्ताव पर मतदान के समय अनुपस्थित रहे। हाल के वर्षों में
अनेक बार वाटिकन ने पेयजल तक पहुँच होने को मानवाधिकार घोषित करने के प्रयासों का समर्थन
किया था। संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सन 2009 में अपने विश्वपत्र कारितास इन वेरिताते
में लिखा था कि जीवन संबंधी मौलिक अधिकारों से शुऱू करते हुए पानी का अधिकार के समान
ही भोजन संबंधी अधिकार का अन्य अधिकारों के मध्य महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए ऐसा जनमानस
तैयार करना आवश्यक है जो बिना किसी भेदभाव के सब लोगों के लिए जल और भोजन उपलब्ध होने
के विचार को सार्वभौमिक अधिकार मानती है। संत पापा ने सन 2008 में जल उपलब्ध होने को
सार्वभौमिक और अहस्तांतरणीय अधिकार कहा था।