मध्यप्रदेश में ईसाई विरोधी हिंसा के बारे में उच्च न्यायालय ने जानकारी माँगी
भारत के मध्यप्रदेश राज्य में ईसाईयों के खिलाफ हुई हिंसा की घटनाओं के बारे में जानकारी
उपलब्ध कराने संबंधी उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले पर कलीसियाई प्रवक्ता फादर
आनन्द मुत्तुंगल ने प्रसन्नता व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छा चिह्न
है कि अदालत ने परिस्थिति की गंभीरता को समझा है तथा अब हमारे सामने मामले को अदालत के
समक्ष प्रस्तुत करने का बेहतर अवसर है। ईसाईयों और उनके संस्थानों पर चरमपंथी हिन्दु
समूहों द्वारा किये जा रहे हमलों पर कलीसिया ने सन 2008 में जनहित याचिका दायर की थी
जिस पर अदालत ने हाल ही में अपना फैसला सुनाया है। जनहित याचिका में ईसाईयों और उनकी
सम्पत्ति की रक्षा करने की माँग की गयी थी। फादर मुत्तुंगल ने उकान समाचार सेवा
को बताया कि कुछ ही दिनों में कलीसिया विभिन्न हमलों और हिंसक घटनाओं की सूची अदालत में
जमा कर देगी। दिसम्बर 2003 में राज्य में सत्ता परिवर्त्तन के साथ ही चर्च और ईसाईयों
पर होनेवाले हिंसक घटनाओं और मामलों की संख्या बढ़कर 180 हो गयी। यह संख्या और बढ़ सकती
है यदि उन मामलों को भी जोड़ दिया जाये जिनकी रिपोर्ट नहीं दर्ज कराई गयी। जनहित याचिका
के एक आवेदक फ्रांसिस जोसेफ की अपेक्षा है कि अदालत ऐसा निर्णय दे जो मध्यप्रदेश राज्य
में ईसाईयों के जीवन और धर्मपालन संबंधी संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करे।