रोम, 25 जुलाई, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने लीजनरिस में क्राइस्त के
लिये नियुक्त अपने प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष वेलासियो दे पाओलिस को अपना पूर्ण अधिकार
दिया ताकि वे इस संघ का पूर्णरूपेण नवीनीकरण कर सकें और इसके संविधान में आवश्यक संशोधन
के लिये के लिये एक आमसभा बुला सकें।
विदित हो कि पिछले बुधवार 21 जुलाई को वाटिकन
के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने ने महाधर्माध्यक्ष वेलासियो को एक
11 सूत्रीय निर्देश दिये था जिसके तहत् महाधर्माध्यक्ष को अनेक अधिकार प्रदान किये गये
हैं।
इस निर्देश में कहा गया है कि लिजनरिस ऑफ क्राइस्ट के सदस्य अपने धर्मसमाजी
जीवन और संघ के विशेष मिशन एवं गुणों का गहराई से नवीनीकरण करें।
महाधर्माध्यक्ष
के लिय सौंपे गये 11 सूत्रीय निर्दश में इस बात पर बल दिया गया है कि महाधर्माध्यक्ष
को वे सभी अधिकार दिये गये हैं जो अधिकार लिजनरीस ऑफ क्राइस्ट पर संत पापा के थे।
इसके
साथ यह भी कहा गया है कि लिजनरिस ऑफ क्राइस्ट के सभी वर्त्तमान सुपीरियर अपने पदों पर
तब बनें रहेंगे जब तक कि इसे बदलने की आवश्यकता महसूस न की जाये।
इसी निर्देश
के तहत् संत पापा के प्रतिनिधि को वे सारे अधिकार दिये गयें हैं जिसके तहत् संघ अपने
सभी निर्णयों का अनुमोदन संत पापा द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि से कराएगा।
इसमें
नये सदस्यों की समाज में लेने से लेकर संघ की संपति के हस्तांतरण जैसी बातें भी शामिल
हैं।
विदित हो लिजनरीस ऑफ क्राइस्ट संघ के नवीनीकरण के लिये संत पापा ने महाधर्माध्यक्ष
पावोलिस को अपना प्रतिनिधि बनाया है। संघ के नवीनीकरण के लिये एक समिति बनायी गयी है
जिसके अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष पाओलिस इसके अध्यक्ष होंगे।