2010-07-24 12:58:48

कलीसिया महिलाओं के योगदान को उचित पहचान व स्थान दे- फ्लामिना


रोम,  24 जुलाई,, 2010 ( ज़ेनित)  न्याय और शांति के लिये बनी परमधर्मपीठी समिति की सह-सचिव फ्लामिना जियोवानेल्ली ने कहा है कि काथलिक कलीसिया में  आध्यात्मिक निर्देशिका के रूप में महिलाओं के योगदान को उचित पहचान और महत्वपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिये।

फ्लेमिना ने उक्त प्रस्ताव उस समय किये जब उन्होंने गुरुवार 22 जुलाई को वाटिकन के समाचार पत्र ‘लोसेरभातोरे रोमानो’ को एक साक्षात्कार दिया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिस तस्वीर को वे कलीसिया के आदर्श रूप देखतीं हैं, वह है संत पापा जोन पौल द्वितीय और मदर तेरेसा का मिलन।

62 वर्षीय अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में प्रतिष्ठा प्राप्त जियोवान्नेल्ली ने कहा कि आज के युग में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो गयी है।

उनका कहना है कि कलीसिया में कई महिला धर्मसमाजी और लोकधर्मी बिल्कल ही स्वतंत्र रूप से विभिन्न स्तरों से कई प्रेरितिक कार्य कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के अलावा कई अन्य तरीकों से आम लोगों का मार्गदर्शन निष्ठापूर्वक किया है अतः उनके कार्यों को सराहा जाना चाहिये।
 
वाटिकन में सन् 1974 से कार्यरत फ्लामिना ने कहा कि अगर ईश्वर से मेल-मिलाप करने के लिये पापस्वीकार संस्कार ज़रूरी है तो यह भी जानना महत्त्वपूर्ण है कि आध्यात्मिक निर्देशन ख्रीस्तीय जीवन के लिये निहायत ज़रूरी है ।

उन्होंने कहा कि अपने मन से यह जानना की ईश्वर ने हमारे पापों की क्षमा दे दी है और अपने दिल में यह अनुभव करना कि ईश्वर ने मुझे क्षमा दे दिया है दोनों की समझदारी और प्रभाव में अन्तर है।

इस अंतर को समझाने में कई बार महिलाओं ने बहुत ही प्रभावपूर्ण भूमिका अदा की है क्योंकि वे इसके प्रति अन्यों से ज़्यादा संवेदनशील हैं।

उन्होंने आशा व्यक्त की है कि यदि महिलाओं को कलीसियाई बातों के अध्ययन का अवसर मिले तो वे आध्यात्मिक निर्देशन के क्षेत्र में कलीसिया की सेवा बखूबी कर सकती हैं।












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