बॉस्टनः धर्मप्रान्त के कल्याण के लिये पल्लियों को बन्द किया जा सकता है, कहना वाटिकन
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बॉस्टन महाधर्मप्रान्त की नौ पल्लियों के सन्दर्भ में, वाटिकन ने इस बात की पुष्टि कर
दी है कि धर्मप्रान्त अथवा महाधर्मप्रान्त की भलाई के लिये पल्लियों को बन्द किया जा
सकता है। पुरोहितों की कमी, काथलिक धर्मानुयायियों की बदलती जनसांख्यिकी तथा अर्थपूर्ण
वित्तीय दबाव के कारण सन् 2004 में बॉस्टन महाधर्मप्रान्त ने नौ पल्लियों को बन्द कर
इनका विलय अन्य पल्लियों के साथ करने का निर्णय लिया था। तथापि, कुछ पल्लियों के
पल्ली वासियों ने इसका विरोध कर महाधर्मप्रान्त के निर्णय को चुनौती दी। इस बारे में
उन्होंने पहले, वाटिकन स्थित याजकवर्ग सम्बन्धी परमधर्मपीठीय धर्मसंघ को पत्र लिखा और
बाद में वाटिकन की प्रेरितिक अदालत "एपोसतोलिक सिगनातूरा" में शिकायत दर्ज़ की। विगत
गुरुवार को बॉस्टन महाधर्मप्रान्त ने बताया कि उसे, बन्द किये जानेवाली नौ पल्लियों पर,
"एपोसतोलिक सिगनातूरा" से आदेश मिला है। महाधर्मप्रान्त ने लैटिन भाषा में लिखे आदेश
को अब तक अनूदित नहीं किया है किन्तु एक वकतव्य जारी कर बताया कि "एपोसतोलिक सिगनातूरा"
ने उक्त नौ पल्लियों को बन्द किया जाना महाधर्मप्रान्त के हित में बताया है। वकतव्य में
कहा गया कि महाधर्मप्रान्त प्रार्थना जगरणों के शांतिपूर्ण एवं प्रार्थनामय अन्त की कामना
करता है।" ग़ौरतलब है कि सन् 2004 में, पल्लियों को बन्द किये जाने की घोषणा के
बाद से, पाँच पल्लियों में विरोध स्वरूप पल्ली वासी रात-दिन प्रार्थना जागरणों का आयोजन
करते रहे हैं।