फ़ैसलाबादः दो ख्रीस्तीयों की हत्या के बाद पाकिस्तानी ईश निन्दा कानून का विरोध
पाकिस्तान के फ़ैसलाबाद में 19 जुलाई को अदालत के परिसर में दो ख्रीस्तीय भाइयों की हत्या
के बाद पाकिस्तान के ख्रीस्तीय नेताओं एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं ने ईश निन्दा कानून
को रद्द करने की एक बार फिर मांग की। इस्लाम धर्म के अपमान के आरोप में एक माह
पूर्व गिरफ्तार 36 वर्षीय रशीद एम्मानुएल तथा 30 वर्षीय साजिद एम्मानुएल की सोमवार को,
अदालती पेशगी के बाद, अदालत के परिसर में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अदालत ने
उन्हें उक्त आरोप से बरी कर दिया था। ऊका समाचार के अनुसार ईसाई भाइयों रशीद एवं
साजिद की हत्या के बाद पाँच घण्टों तक फ़ैसलाबाद में ख्रीस्तीय-मुसलमान झगड़े होते रहे
जिसमें एक गिरजाघर में लूट मचाई गई तथा दूकानों को आग के हवाले कर दिया गया। दंगों के
चलते कारितास सहित अनेक कलीसियाई कार्यालय बन्द रहे तथा कई ख्रीस्तीय भयवश अपने घरों
का परित्याग कर अन्यत्र चले गये। पुलिस ने 60 मुसलमानों को गिरफ्तार किया है। मंगलवार
को फ़ैसलाबाद के सन्त पेत्रुस एवं पौलुस महागिरजाघर में, फ़ैसलाबाद के काथलिक धर्माध्यक्ष
जोसफ कूट्स ने, हत्या के शिकार भाइयों के लिये अन्तयेष्टि याग अर्पित किया जिसमें पुलिस
की कड़ी सुरक्षा रही। इस अवसर पर धर्माध्यक्ष कूट्स ने शांति की अपील की तथा न्याय की
मांग करते हुए कहा, "ख्रीस्तीयों से हम शांति का आग्रह करते हैं किन्तु यह मांग भी करते
हैं कि हत्या के अपराधियों को न्यायोचित दण्ड दिया जाये।" उन्होंने कहा, "अल्पसंख्यकों
ने बहुत पीड़ा सही है।" इस बीच, पाकिस्तान काथलिक कलीसिया की "न्याय एवं शांति सम्बन्धी
समिति" के कार्यकारी सचिव पीटर जैकब ने एशिया समाचार के माध्यम से एक बार फिर पाकिस्तान
के ईश निन्दा कानून को रद्द किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा, "सरकार एवं जनमत को
इस बात के लिये सहमत करना होगा कि इस प्रकार के पक्षपाती नियम सभी के लिये ख़तरनाक हैं।"
ग़ौरतलब है कि सन् 1980 के दशक में राष्ट्रपति ज़िया उल हक द्वारा लागू पाकिस्तान
के ईश निन्दा कानून के तहत इस्लाम धर्म और पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने वाले को मौत
की सज़ा दी जाती है। पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय एवं मानवाधिकार संगठन इसे रद्द करने
की मांग करते रहे हैं क्योंकि ख्रीस्तीयों एवं अन्य अल्पसंख्यकों को उत्पीड़ित करने के
लिये इस कानून का दुरुपयोग होता रहा है।