2010-07-19 17:02:21

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 18 जुलाई को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कास्तेल गोंदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

कम से कम उत्तरी गोलार्द्ध में हम ग्रीष्मकाल के मध्य में हैं। यह समय है जब विद्यालय बंद हैं तथा सबसे अधिक छुट्टियाँ संकेन्द्रित हैं। यहाँ तक कि पल्लियों में मेषपालीय गतिविधियों की संख्याएँ भी कम कर दी गयी हैं और मैंने भी कुछ समय के लिए आमदर्शन समारोहों को स्थगित कर दिया है। इसलिए यह उपयुक्त समय है कि जीवन में जो प्रभावी रूप से सबसे महत्वपूर्ण चीज हैं उनको प्रथम स्थान दिया जाये। कहने का तात्पर्य है कि ईश्वर के वचन को सुनें। इस रविवार का सुसमाचार पाठ हमें संत लुकस रचित वृत्तांत का स्मरण कराता है जिसमें येसु मरथा और मरियम के घर की भेंट करते हैं।

मरथा और मरियम दो बहनें हैं। उनका एक भाई भी है लाजरूस, जो यहाँ नहीं दिखाई देता है। येसु उनके गाँव से होकर जा रहे हैं और पाठ बताता है मरथा ने उनका स्वागत किया। यह वृत्तांत एक व्यक्ति को यह समझ देता है कि इन दो बहनों में मरथा बड़ी बहन थी जो घर चलाती है। वास्तव में, जब येसु आकर बैठ गये मरियम उनके पैरों के पास आकर बैठ गयी और उनकी बातों को सुनती है जबकि मरथा पूरी तरह से उनकी सेवा-सत्कार करने के काम में व्यस्त हो गयी जोकि निश्चित रूप से अतिविशिष्ट अतिथि को दिया जाता है। हम इस दृश्य को इस प्रकार देखते हैं- एक बहन बहुत व्यस्त है और दूसरी गुरु की उपस्थिति में है और उनके वचनों को सुनने में तल्लीन है। कुछ समय बाद यह प्रत्यक्ष है कि मरथा रोषपूर्ण है और इस स्थिति को बर्दाश्त नहीं करते हुए विरोध व्यक्त करती है, यह भी महसूस कर रही है कि उसे यह अधिकार है कि वह येसु की आलोचना कर कहती है- प्रभु, क्या आप यह ठीक समझते हैं कि मेरी बहन ने सेवा-सत्कार का पूरा भार मुझ पर ही छोड़ दिया है, उससे कहिए कि वह मेरी सहायता करे। वास्तव में मरथा गुरु को सीखाना चाहती है लेकिन येसु शांत भाव से कहते हैं- मरथा मरथा तुम बहुत सी बातों के विषय में चिंतित और व्यस्त हो फिर भी एक ही बात आवश्यक है मरियम ने सबसे उत्ताम भाग चुन लिया है वह उससे नहीं लिया जायेगा। ख्रीस्त के शब्द बहुत साफ हैं। सक्रिय जीवन के प्रति किसी प्रकार की उपेक्ष4 नहीं, उदार आतिथ्य सत्कार के लिए शिक्षा लेकिन इस तथ्य के बारे में याद दिलाने के लिए स्पष्ट रिमांडर कि जो सबसे महत्वपूर्ण है ईश्वर के वचन को सुनना और ईश्वर उस क्षण में वहाँ उपस्थित हैं, येसु के रूप में उपस्थित हैं। सब कुछ बीत जायेगा और सबकुछ हमसे ले लिया जायेगा लेकिन ईश्वर का वचन शाश्वत है यह हमारी दैनिक गतिविधियों को अर्थ प्रदान करता है।

प्रिय मित्रो, जैसा कि मैंने कहा यह सुसमाचार पाठ अवकाश काल में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस तथ्य का स्मरण करता है कि मानव प्राणी को काम करना है, उसे स्वयं को घरेलू और व्यावसायिक हित के कामों में संलग्न करना पड़ता है इसके साथ यह भी सुनिश्चित करे कि सबकुछ से अधिक उसे ईश्वर की जरूरत है, जो प्रेम और सत्य का आंतरिक प्रकाश हैं। प्रेम बिना यहाँ तक कि सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियाँ भी अपना मूल्य खोने लगती हैं और खुशी नहीं लाती हैं। गहन अर्थ के बिना सबकुछ जो हम करते हैं वह सब अनुर्वर तथा अस्त व्यस्त गतिविधियाँ बन जाता है। यदि यह येसु ख्रीस्त नहीं तो और कौन हैं जो हमें प्रेम और सत्य देते हैं - इसलिए हम सीखें, भाईयो, एक दूसरे की सहायता करें, सहयोग करें लेकिन उससे पहले बेहतर भाग को चुनें जो कि है और हमेशा होगी हमारी बेहतर भलाई।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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