2010-07-15 18:01:43

नीति नियमनों की सार्थकता पर फादर लोम्बार्दी के विचार


धर्मसिद्धान्त संबंधी परमधर्मपीठीय समिति ने यूखरिस्त, पश्चाताप और पुरोहिताई संस्कार, धार्मिक आस्था संबंधी बातों के खिलाफ गंभीर अपराधों एवं पुरोहितों द्वारा किये गये बाल यौन दुराचार अपराध के खिलाफ कुछेक संशोधनों के साथ दिशा निर्देश जारी किया है ताकि कलीसियाई विधान के नियमों और प्रक्रियाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। इन नियमों की सार्थकता के बारे में वाटिकन प्रवक्ता फादर फेदेरिको लोम्बार्दी ने कहा कि नियमों का व्यापक और संवर्द्धित स्वरूप प्रकाशित किया गया है। इन नियमों में बाल यौन दुराचार से संबंधित जाँच प्रक्रियाओं को गति प्रदान करने तथा आकस्मिक और गंभीर परिस्थितियों का तत्पर जवाब देने के लिए विशिष्ट प्रावधान किये गये हैं जिसमें ट्रिब्यूनल स्टाफ में लोकधर्मियों को शामिल करना, जाँच के लिए लाये जानेवाले मामलों की सीमा अवधि को दस वर्ष से बढ़ा कर बीस वर्ष किया जाना एवं बाल यौन शोषण अश्लील साहित्य भी शामिल है।

नियमों में जाँच प्रक्रिया की गोपनीयता को बरकरार रखा गया है ताकि मामले से जुडे हर व्यक्ति की मर्यादा की रक्षा की जा सके। कहा गया है कि ये नियमन कलीसियाई कानून के अंग हैं अर्थात कलीसिया के मामले हैं। इसी कारण से अपराधियों के बारे में नागरिक अधिकारियों को रिपोर्ट करने के विषय में सीधे कुछ नहीं कहा गया है तथापि धर्म और आस्था संबंधी परमधर्मपीठ द्वारा जारी निर्देशों में यह गौर किया जाना चाहिए कि नागरिक कानूनों के साथ सहयोग करने का निर्देश निहित है। कुछेक पुरोहितों या चर्च से जुड़ी संस्थानों के द्वारा बाल यौन शोषण से जुड़े मामलों के खिलाफ आस्था संबंधी परमधर्मपीठ समिति धर्माध्यक्षों की सहायता करने के लिए निर्देशिका तैयार कर रही है ताकि जाँच प्रक्रिया के निर्देश और अधिक प्रभावी हों।








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