ईसाईयों ने मनोज प्रधान को जमानत दिये जाने के फैसले पर निराशा व्यक्त की
उडीसा दंगे के समय एक ईसाई की हत्या के लिए सात साल की सज़ा सुनाये गये भाजपा दल के नेता
मनोज प्रधान को 7 जुलाई को अदालत ने जमानत दे दी। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने मनोज प्रधान
और उनके सहयोगी प्रफुल्ल मल्लिक को इस शर्त पर जमानत पर रिहा किया है वे उनके खिलाफ दायर
मामलों के सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे। मृतक की विधवा कनक रेखा नायक अदालत के
फैसले से गहन निराश है। उन्होंने कहा कि यह मेरे साथ अन्याय है यदि यही न्याय पद्धति
है तो वे नहीं जानती हैं कि क्या कहें। उनके पति प्रकृति नायक की हत्या 27 अगस्त 2008
को कर दी गयी थी। मनोज प्रधान ने 29 जून को अदालत द्वारा हत्या के मामले में दी गयी
सात साल के कैद की सजा के फैसले को उड़ीसा उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। यहाँ सन 2008
में हुई ईसाई विरोधी दंगे और आगजनी में लगभग 60 लोग मारे गये थे और 50 हजार विस्थापित
हो गये थे। प्रधान पर दंगे और हत्या में शामिल होने के 14 मामले दर्ज किये गये हैं जिनमें
वे 7 मामलों में बरी कर दिये गये हैं जबकि 6 मामलों की सुनवाई जारी है। ईसाईयों ने
अदालत द्वारा जमानत दिये जाने के फैसले पर निराशा व्यक्त किया है। कटक भुवनेश्वर महाधर्मप्रांत
के सामाजिक सेवा के निदेशक फादर अजय सिंह ने कहा कि प्रधान को मौलिक रूप से सश्रम कारावास
की सज़ा सुनायी गयी है लेकिन उसे दी गयी जमानत ने सज़ा को कम कर दिया है। उन्होंने कहा
कि प्रधान को जमानत मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यह कंधमाल क्षेत्र में जारी शांति
निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करेगा। कंधमाल में प्रभावितों के संघ के अध्यक्ष विप्रा
चन्द नायक ने कहा कि प्रधान और उनके लोग भय का वातावरण बनायेंगे, गवाहों को भयभीत करेंगे
इससे न्याय बाधित होगा। कटक भुवनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष रफायल चिननाथ ने कहा कि लोगों
को अपने दिल छोटे नहीं करने चाहिए। कानून अपना समय और अपना रास्ता लेगा।