2010-06-28 16:19:59

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 27 जून को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

इस रविवार के पवित्र ख्रीस्तयाग के लिए निर्धारित बाईबिल पाठ मुझे अवसर देते हैं कि मैं पुनः ख्रीस्त के बुलावे तथा इस बुलावे की माँग के विषय में कहूँ, वह शीर्षक जिसपर मैंने रोम धर्मप्रांत के लिए नये पुरोहितों के अभिषेक के अवसर पर एक सप्ताह पूर्व मनन चिंतन किया था। वस्तुतः किसी भी व्यक्ति को जिसे किसी भी युवक या युवती को बारे में यह जानने का मौका मिलता है जो अपना परिवार, अध्ययन या काम छोड़कर ईश्वर के लिए स्वयं को समर्पित करता है वह अच्छी तरह जानता है, क्योंकि उसके सामने दिव्य बुलावे का क्रांतिकारी जवाब देने का एक जीवंत उदाहरण है।

कलीसिया में एक व्यक्ति के पास सबसे सुंदर अनुभवों में से यह एक है- लोगों के जीवन में ईश्वर के काम को देखना, अपने हाथ से इसका स्पर्श करना, यह अनुभव करना कि ईश्वर अमूर्त हस्ती नहीं लेकिन सत्य हैं, इतना महान और शक्तिशाली कि वे मानव के दिल को प्रचुरता से भर देते हैं। वे एक प्राणी हैं जो जीवित और निकट हैं, जो हमें प्रेम करते तथा उन्हें प्रेम करने को कहते हैं।

सुसमाचार लेखक संत लुकस प्रस्तुत करते हैं येरूसालेम के रास्ते में जा रहे येसु और उनके साथ कुछ लोग जो संभवतः युवा जन थे और जो येसु का, वे कहीं भी जायें अनुसरण करना चाहते थे। येसु मसीह उनके सामने स्वयं को ऐसा प्रदर्शित करते हैं जो बहुत ही माँग करते हैं, वे यह कहते हैं मानवपुत्र को अपनी सिर रखने की भी जगह नहीं है। रहने के लिए उनका स्थायी निवास नहीं है तथा जो भी उनके साथ ईश्वर की दाखबारी में काम करना चुनता है वह अपना मन नहीं बदल सकता है।

जबकि किसी दूसरे व्यक्ति को येसु स्वयं कहते हैं कि मेरा अनुसरण करो, और उसे पूरी तरह से अपने पारिवारिक संबंध को छोड़कर उनका अनुसरण करने कहते हैं। ये माँग बहुत कठिन दिखाई पड़ती है लेकिन वास्तविकता में वे ईश्वर के राज्य की पूर्ण प्राथमिकता और नवीनता को व्यक्त करते हैं जो येसु ख्रीस्त के रूप में हमारे सामने दृश्यमान रूप से प्रस्तुत किया जाता है।

अंतिम विश्लेषण में यह क्रांतिकारी भाव है जो ईश्वर के प्रेम के कारण है, ख्रीस्त जिसका सबसे पहले अनुपालन करते हैं। जो व्यक्ति येसु का अनुसरण करने में सबकुछ का परित्याग कर देता है यहां तक कि स्वयं को अर्पित कर देता है वह स्वतंत्रता के ऐसे पहलू में प्रवेश करता है जिसकी परिभाषा देते हुए संत पौलुस आत्मा के अनुसार चलना कहते हैं। ख्रीस्त ने हमें स्वतंत्रता से मुक्त किया- प्रेरित लिखते हैं और व्याख्या करते हैं कि यह नये प्रकार की स्वतंत्रता है जो हमारे लिए ख्रीस्त के द्वारा अर्जित की गयी है और यह एक दूसरे की सेवा करने में बनी रहती है। स्वतंत्रता और प्रेम का संयोग होता है। एक दूसरे के अहम का आज्ञापालन प्रतिद्वंद्विता और संघर्ष की ओर ले चलता है।

प्रिय मित्रो, जून का महीना, जिसकी विशेषता येसु के पवित्र ह्दय के प्रति भक्ति है, इस महीने का अंत आ रहा है। वास्तव में, पवित्र ह्दय के पर्व के दिन सम्पूर्ण विश्व के पुरोहितों के साथ पवित्रीकरण के लिए हमने अपने समर्पण को नवीकृत किया। आज मैं आप में से हर एक जन को प्रभु येसु के दिव्य मानवीय दिल पर मनन चिंतन करने के लिए, स्रोत से ही ईश्वर के प्रेम को पाने के लिए आमंत्रित करना चाहता हूँ। जो भी व्यक्ति अपनी दृष्टि को छेदित ह्दय पर केन्द्रित करेगा, जो प्रेम के कारण हमारे लिए हमेशा खुला है वह सत्य के इस आह्वान को महसूस करेगा- प्रभु आप ही मेरा सर्वस्व हैं और वह प्रभु का अनुसरण करने के लिए सबकुछ छोड़ने को तैयार है। ओ मरियम, जिन्होंने तत्परतापूर्वक दिव्य बुलावे का जवाब दिया हमारे लिए प्रार्थना करें।


इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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