मध्य पूर्व के ईसाईयों के प्रति संत पापा की कृतज्ञता
पूर्वी कलीसियाओं की सहायता करनेवाली सहायता एजेंसियों के संघ आरओएसीओ की पूर्णकालिक
सभा के लगभग 75 अधिकारियों को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने शुक्रवार को वाटिकन में सम्बोधित
किया। यह संघ लगभग 20 अमरीकी तथा यूरोपीय एजेंसियों और संगठनों का संयोजन करता है जो
एशिया, उत्तरी अफ्रीका, पूर्वी यूरोप तथा मध्य पूर्व में काथलिक समुदायों को सहायता उपलब्ध
कराते हैं। संत पापा ने अक्तूबर माह में सम्पन्न होनेवाली मध्य पूर्व के धर्माध्यक्षों
की धर्मसभा को देखते हुए मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थायी शांति और धार्मिक स्वतंत्रता
के लिए अपनी अपील को पुनः दुहराया। उन्होंने अंग्रेजी फ्रेंच. जर्मन और इताली भाषा में
दिये गये सम्बोधन में कहा कि पवित्र भूमि, इराक और मध्य पूर्व में हम सब स्थायी शांति
और सहअस्तित्व के उपहार चाहते हैं। यह मानवाधिकारों, परिवारों, समुदायों तथा आमजनता के
प्रति सम्मान तथा धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक भेदभाव पर विजय पाने से उत्पन्न होता
है। संत पापा ने कहा कि वे साइप्रस के ईसाईयों के सामने की गयी अपील को ईश्वर तथा
उन्हें सौंपते हैं। वे कलीसियाई उदारता के साधन रूप में शांति और स्वतंत्रता के भाव में
और अधिक न्याय लाने के लिए सहयोग करना जारी रखें। संत पापा ने मध्यपूर्व के ईसाईयों
को बपतिस्मा संस्कार में पाये विश्वास के दान को संरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहन दिया।
उन्होंने मध्य पूर्व के प्रवासियों से आग्रह किया कि वे अपने अस्तित्व, विशेष रूप से
धार्मिक जड़ो को नहीं भूलें क्योंकि उनकी निष्ठा और मानवीय तथा ख्रीस्तीय सम्बद्धता इसी
पर निर्भर करती है। संत पापा ने सुसमाचार के कारण हिंसा से पीडित ईसाईयों के प्रति विशेष
आभार मानते हुए उन्हें ईश्वर के सिपुर्द किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों के नेताओं
पर वे भरोसा कर रहे हैं ताकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति सुनिश्चित
की जा सके। उन्होंने कहा कि पुरोहितों के वर्ष में कलीसिया तथा पुरोहितों के लिए विशेष
ध्यान दिये जाने के लिए की गयी अपीलों के फलस्वरूप न केवल पुरोहितों के लिए बल्कि सब
विश्वासियों के लिए पवित्रता के फल बढ़ गये हैं। संत पापा ने कहा कि मध्यपूर्व के
धर्माध्यक्षों की धर्मसभा की तैयारी के लिए सामान्य काम रह गया है। इस पहल के लिए ईश्वर
को धन्यवाद दें कि सामुदायिकता और साक्षी के लाभदायक फल उत्पन्न होने लगे हैं। उन्होंने
कहा कि पिछले साल कास्तेल गोंदोल्फों में पूर्वी कलीसियाओं के धर्माध्यक्षों और प्राधिधर्माध्यक्षों
के साथ भ्रातृमय प्रार्थना और चिंतन के समय धर्मसभा के आयोजन की घोषणा करने का उन्हें
अवसर मिला था। हाल की साइप्रस यात्रा के समय उन्होंने मध्य पूर्व क्षेत्र के धर्माध्यक्षों
को कार्यकारी दस्तावेज सौंपा था। इस काम के लिए मध्य पूर्व की कलीसियाओं तथा आरओएसीओ
के द्वारा दिये जा रहे सहयोग के लिए वे आभारी हैं। स्वर्गीय धर्माध्यक्ष पादोवेसे और
अनातोलिया के प्रेरितिक विकर का विशेष स्मरण करते हुए संत पापा ने रोआको से संलग्न सदस्यों
और संगठनों तथा मध्य पूर्व की कलीसियाओं को प्रेरितिक आशीर्वाद देते हुए उनपर ईश्वरीय
कृपाओं की कामना की।