जिनिवाः शरणार्थियों को दूर करना समाधान नहीं, कहना परमधर्मपीठीय प्रतिनिधि का
जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालयों में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक
वाटिकन के वरिष्ठ धर्माधिकारी महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थोमासी ने कहा है कि शरणार्थियों
को दूर करना समस्या समाधान नहीं है। मंगलवार को जिनिवा में शरणार्थी सम्बन्धी संयुक्त
राष्ट्र संघीय उच्चायुक्त की कार्यकारी समिति की स्थायी समिति की 48 वीं बैठक को सम्बोधित
कर महाधर्माध्यक्ष थोमासी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघीय उच्चायुक्त के कार्यालय द्वारा
विश्व के चार करोड़ 33 लाख शरणार्थियों के लिये जो प्रयास किये जा रहे हैं वे सराहनीय
हैं किन्तु लोगों को शरणार्थी बनने से रोकने लिये विशेष प्रयासों की नितान्त आवश्यकता
है। उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में युद्धों एवं संघर्षों को रोकना तथा
युद्धग्रस्त दलों को समझौतों के लिये तैयार करना आवश्यक है ताकि लोगों को सुरक्षा के
लिये अपने घरों से पलायन न करना पड़े। दूसरी ओर, महाधर्माध्यक्ष ने कहा, मेज़बान
देशों में शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि शरणार्थियों
का पंजीकरण, उनके लिये नौकरी, आवास आदि की सुविधाएँ उपलब्ध कराना मेज़बान देशों के समक्ष
प्रस्तुत एक गम्भीर चुनौती है जिसका सामना दृढ़ संकल्प के साथ किया जाना चाहिये। महाधर्माध्यक्ष
थोमासी ने कहा कि अफ्रीका, एशिया तथा अन्य स्थलों से शरण मांगनेवाले नाव के लोगों को
उनके मूल स्थान वापस लौटा देना या उन्हें कारावासों में दयनीय स्थिति में बन्द कर देना
समस्या का समाधान कदापि नहीं है। इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि शरण की याचना करनेवाले
प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करना, मानव मर्यादा के सम्मान करना तथा मानवाधिकारों
के सम्मान का आश्वासन देना अनिवार्य है।