2010-06-21 16:22:31

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 20 जून को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

आज सुबह संत पेत्रुस महागिरजाघर में मैंने 14 उपयाजकों को रोम धर्मप्रांत के लिए पुरोहित अभिषेक संस्कार प्रदान किया। पवित्र पुरोहिताई संस्कार एक तरफ ईश्वर की ओर से दर्शाता है कि वे मानव के समीप हैं और दूसरी तरफ जो इस संस्कार को ग्रहण करते हैं उनकी ओर से ख्रीस्त और कलीसिया के प्रति क्रांतिकारी प्रेम सहित इस समीपता का साधन बनने के लिए पूरी तरह से उपलब्ध होने को दर्शाता है।

इस रविवार के सुसमाचार पाठ में प्रभु शिष्यों से पूछते हैं- लेकिन तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ प्रेरित पेत्रुस इस सवाल का तत्क्षण जवाब देते हैं आप ख्रीस्त हैं ईश्वर के मसीह। इस प्रकार दुनियावी विचारों से परे जाकर जोकि येसु को नबियों में से एक मानती थी। संत अम्ब्रोस के अनुसार इस विश्वास की उदघोषणा करते हुए पेत्रुस ने सबकुछ का आलिंगन किया क्योंकि उन्होंने मसीह के नाम और प्रकृति को व्यक्त किया। और येसु, इस विश्वास की उदघोषणा करने से पूर्व पेत्रुस और अन्य शिष्यों से क्रूस तक प्रेम के इस माँग करनेवाले पथ पर उनका अनुसरण करने के निमंत्रण को नवीकृत करते हैं। हमारे लिए भी, जो संस्कारों और उनके वचन में विश्वास करने के द्वारा प्रभु को जान सकते हैं। येसु प्रतिदिन उनका अनुसरण करने का प्रस्ताव देते हैं तथा हमें स्मरण कराते हैं कि उनका शिष्य बनने के लिए यह जरूरी है कि क्रूस की शक्ति को स्वीकार करें जो हमारे कल्याण का शिखर तथा हमारी आशा का मुकुट है।

संत मक्सीमुस का पर्यवेक्षण है कि हमारे प्रभु ईसा मसीह की शक्ति का विशिष्ट चिह्न क्रूस है जिसे उन्होंने अपनी पीठ पर ढोया। वस्तुतः प्रभु ने प्रत्येक जन से कहा- जो मेरा अनुसरण करना चाहता है वह आत्मत्याग करे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो ले। क्रूस उठाने का अर्थ है पाप जो ईश्वर की ओर जाने के रास्ते को बंद करता है इसे पराजित करने के लिए स्वयं को समर्पित करना, प्रत्येक दिन ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करना, समस्याओं, कठिनाईयों और पीड़ा के सामने विश्वास को बढ़ाना। पवित्र कार्मेलाईट एडिथ स्टेन ने अत्याचार के समय इसका साक्ष्य दिया। उन्होंने 1938 में कोलोन के कारमेल में लिखा – आज मैं समझती हूँ कि क्रूस के चिह्न में ख्रीस्त की दुल्हिन होने का क्या अर्थ है। यद्यपि मैं इसे पूरी तरह नहीं समझ सकती हूँ क्योंकि यह एक रहस्य है जितना अधिक अँधेरा हमारे चारों ओर छाता है उतना ही हमें अपने दिल को ऊपर से आते प्रकाश के लिए खोलना है। आज भी विश्व में अनेक ख्रीस्तीय हैं जो ईश्वर से उत्प्रेरणा पाकर प्रतिदिन क्रूस ढोते हैं वह चाहे प्रतिदिन का परीक्षण हो या मानवीय बर्बरता के कारण होती है जिसके लिए यदा कदा सर्वोच्च बलिदान के लिए साहस की जरूरत होती है। ईश्वर हम में से प्रत्येक जन को यह कृपा दें कि हम सदैव उनपर दृढ़ भरोसा रखें, यह निश्चित है कि हमारा क्रूस ढोते हुए उनका अनुसरण करने से हम उनके साथ पुनरूत्थान के प्रकाश तक पहुँच जायेंगे।

हम आज अभिषिक्त हुए नये पुरोहितों को माता मरियम की ममतामयी देखरेख के सिपुर्द करें जो प्रभु द्वारा नाम लेकर बुलाये गये लोगों की श्रेणी में शामिल हो रहे हैं। हमारी प्रार्थना है कि वे सदैव निष्ठावान शिष्य बने रहें। वे ईश्वर के वचन का साहसपूर्वक उदघोषणा करते हुए मुक्ति के उपहारों को बाँटते रहें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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