जैरूसालेमः प्राधिधर्माध्यक्ष त्वाल ने गज़ा घेराबन्दी के अन्त की मांग की
जैरूसालेम के लैटिन प्राधिधर्माध्यक्ष फोआद त्वाल का कहना है कि पवित्रभूमि के लोग अनवरत
जारी संघर्ष से थक चुके हैं तथा गज़ा में व्याप्त घेराबन्दी एवं हिंसा का अन्त चाहते
हैं। जैरूसालेम में लातीनी रीति के काथलिक धर्मानुयायियों के धर्माधिपति तथा काथलिक
कलीसिया के उदारता संगठन कारितास की जैरूसालेम शाखा के अध्यक्ष प्राधिधर्माध्यक्ष त्वाल
ने एक भेंटवार्ता में उक्त अपील जारी की। गज़ा फ्रीडम फ्लोटिल्ला पोतों पर 31 मई
के बाद हुए इसराएली हमलों के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि गज़ा पर से हर प्रकार के प्रतिबन्ध
को हटाये जाने की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी व्यक्ति को ऐसी दयनीय स्थिति में जीने
के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि गज़ा पट्टी की समस्याएँ व्यापक हैं
तथा लोग युद्ध से भयभीत हैं, अनेकों के घर तबाह हो गये हैं। प्राधिधर्माध्यक्ष ने
बताया, "हमें बहुत स्थलों से राहत सहायता मिल रही है किन्तु अब तक शान्ति का आश्वासन
नहीं मिला है जिसकी नितान्त आवश्यकता है।" उन्होंने कहा, "मिलनेवाली राहत सहायता एसप्रिन
की गोली जैसी है जो कुछ समय के लिये राहत ज़रूर देती है किन्तु दूरगामी समाधान तक नहीं
ले जाती।" इस बात की ओर प्राधिधर्माध्यक्ष ने ध्यान आकर्षित कराया कि अधिकरण और घेराबन्दी
के कारण गज़ा के लोग सामान्य जीवन से वंचित हैं। वे स्वतंत्रतापूर्वक, एक स्थल से दूसरे
स्थल तक, जैसे अस्पताल, गिरजाघर आदि से आ जा नहीं सकते हैं। उनके अनुसार इसे जीवन नहीं
कहा जा सकता। उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान भी आकर्षित कराया कि नवीन पीढ़ी अर्थात्
फिलीस्तीनी एवं इसराएली युवाओं ने हिंसा के वातावरण में जन्म लिया है तथा हिंसा के माहौल
में ही वे बड़े हुए हैं। इसलिये, प्राधिधर्माध्यक्ष ने कहा, "धार्मिक एवं राजनैतिक नेताओं
की ज़िम्मेदारी अति गम्भीर है। उन्हें स्वतः से पूछना चाहिये कि नवीन पीढ़ियों को शान्ति
से परिचित कराने के लिये वे क्या कर सकते हैं।" हर प्रकार की हिंसा की निन्दा करते
हुए प्राधिधर्माध्यक्ष ने कहा कि लोग चाहे इस्लाम, यहूदी अथवा ख्रीस्तीय धर्म के ही अनुयायी
क्यों न हों सभी को स्वतंत्रता, सुरक्षा एवं शांति में जीवन यापन का अधिकार है।