वाटिकन सिटीः परमधर्मपीठ ने गज़ा नाकाबन्दी के अन्त का आह्वान किया
गज़ा पट्टी के बलात अलगाव तथा 31 मई को गज़ा के लिये राहत सामग्री ले जाने वाले पोत पर
हमलों के कारण विगत सप्ताह अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में उठे विवाद के चलते परमधर्मपीठ ने
भी अपनी आवाज़ उन लोगों के साथ मिलाई है जो गज़ा नाकाबन्दी पर से हर अवरोध को हटाने की
मांग कर रहे हैं। जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालयों में परमधर्मपीठ
के स्थायी पर्यवेक्षक एवं वाटिकन के राजदूत महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थॉमासी ने मानवाधिकार
समिति के एक सत्र को सम्बोधित कर विगत सप्ताह की घटना पर निष्पक्ष एवं पारदर्शी जाँचपड़ताल
की मांग की। 31 मई के हमले में कम से कम नौ व्यक्तियों की हत्या हो गई है। वाटिकन
रेडियो से बातचीत में महाधर्माध्यक्ष सिलवानो ने कहा, "सन्त पापा द्वारा अभिव्यक्त तथ्य
का ही मैंने अनुसरण किया है जिन्होंने कहा है कि हिंसा रचनात्मक परिणाम नहीं दे सकती।"
उन्होंने कहा, "यह सच है, इस आक्रमण से हुई हिंसा की निन्दा की जानी चाहिये, सबसे अधिक
इसलिये कि आक्रमण अन्तर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र पर हुआ तथा इससे यह प्रतीत हुआ है कि मानवतावादी
नियम तथा अन्तर्राष्ट्रीय कानून के कोई मायने नहीं है। इसके विपरीत, यह आवश्यक है कि
इन नियमों का पालन किया जाये तथा राज्यों के बीच अच्छे सम्बन्धों के लिये इनका सम्मान
किया जाये।" परमधर्मपीठ के पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थॉमासी ने चेतावनी
दी कि इस प्रकार के कृत्यों के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं क्योंकि सभी की सहानुभूति
हिंसा के शिकार लोगों के परिवारों के साथ है। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इस बात से
कोई इनकार नहीं करता कि इसराएल राज्य को जीने तथा अपनी रक्षा करने का पूर्ण अधिकार है
तथापि, उन्होंने कहा, अन्तराष्ट्रीय कानून का सम्मान करते हुए, वार्ताओं द्वारा, सुरक्षा
प्राप्त की जा सकती है। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उक्त आक्रमण के
बाद अब गज़ा के अलगाव की नीति काम नहीं करेगी क्योंकि सबसे महत्वपूर्ण बात गज़ा के लोगों
को भोजन, जल, चिकित्सा एवं शिक्षा जैसी प्राथमिक आवश्यकताएँ उपलब्ध कराना है।