लारनाका, साईप्रसः सन्त पापा ने सत्य और पुनर्मिलन द्वारा एकता की खोज का आह्वान किया
साईप्रस से विदा लेते हुए रविवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने एक बार फिर इस तथ्य
को रेखांकित किया कि सत्य एवं पुनर्मिलन द्वारा साईप्रस में एकता को प्रोत्साहित किया
जा सकता है। साईप्रस में अपनी तीन दिवसीय यात्रा सम्पन्न कर रविवार को लारनाका हवाई
अडडे पर सन्त पापा ने साईप्रस द्वीप के लोगों से विदा ली। शुक्रवार को आरम्भ अपनी प्रेरितिक
यात्रा के लिये उन्होंने साईप्रस के राष्ट्रपति देमेत्रिस क्रिस्टोफियास तथा सभी आयोजकों
के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया। सब लोगों के लिये स्थायी शांति हेतु प्रयासों
को दुगुना करने की अपील करते हुए सन्त पापा ने कहा, "मैंने ख़ुद इस द्वीप के दुखद विभाजन
को देखा है और साथ ही सम्पूर्ण मानवजाति की सांस्कृतिक धरोहर के महत्वपूर्ण अंश के विनाश
के बारे में सुना है।" अपनी यात्रा के दौरान सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उत्तरी
एवं दक्षिणी साईप्रस को विभाजित करनेवाली सन् 1974 की सीमा रेखा के निकट स्थित वाटिकन
राजदूतावास में निवास किया था। सन्त पापा ने कहा कि उत्तर के सिप्रियट लोगों से भी
उन्होंने मुलाकात की है तथा उनकी व्यथाओं से भी परिचित हुए हैं जो शांति में अपने घरों
को लौटकर अपने आराधना स्थलों में प्रार्थना करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "निश्चित्त
रूप से, सम्मान के साथ साथ सत्य और पुनर्मिलन इस द्वीप के शांतिपूर्ण भविष्य तथा इसके
लोगों के स्थायित्व एवं समृद्धि की ठोस नींव है।" साईप्रस के ख्रीस्तीय ऑरथॉडोक्स
समुदाय के धर्माधिपति क्रिज़ोस्तोमोस द्वितीय एवं अन्य कलीसियाओं के धर्माधिकारियों से
मुलाकात के लिये प्रभु ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करते हुए सन्त पापा ने कहा, "मैं आशा
करता हूँ कि मेरी यह यात्रा जैरूसालेम में स्व. प्राधिधर्माध्यक्ष आथेनागोरास तथा मेरे
पूजनीय पूर्वाधिकारी सन्त पापा पौल षष्टम के बीच हुए आलिंगन के पथ पर अग्रसर एक और कदम
सिद्ध होगी। उनके प्रथम नबूवती कदम हमें वह रास्ता दिखाते हैं जिसपर हमें आगे बढ़ना है।"
सन्त पापा ने कहा, "एक दूसरे के प्रति प्रेम के अटूट बन्धन में बँधे भाई होने तथा
सर्वशक्तिमान् ईश्वर के आगे विनम्रतापूर्वक झुककर, विश्वास में साथ साथ चलने हेतु हम
बुलाये गये हैं।" उन्होंने कहा, "अपने ख्रीस्तीय बन्धुओं को इस तीर्थयात्रा में मेरे
साथ चलने का आमंत्रण देते हुए मैं उन्हें इस बात का आश्वासन देता हूँ कि ईश कृपा से काथलिक
कलीसिया भी, काथलिकों एवं ऑरथॉडोक्स ख्रीस्तीयों को सामान्य रूप से प्रिय बातों को सराहकर,
पूर्ण एकता के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रयास करेगी।" उन्होंने यह आशा भी व्यक्त
की कि ख्रीस्तीय एवं मुसलमान साईप्रस के लोगों के बीच शांति एवं पुनर्मिलन के ख़मीर सिद्ध
होंगे तथा अन्य राष्ट्रों के लिये आदर्श प्रस्तुत कर सकेंगे।