पर्यावरण संबंधी चिंताओं का प्रत्युत्तर देने के लिए चर्चों का आह्वान
भारत में नेशनल कौंसिल ओफ चर्चेज इन इंडिया ने चर्चों और संबंधित संगठनों से पर्यावरण
से जुडी चिंताओं का जवाब देने तथा पर्यावरण संबंधी भावी चुनौतियों पर काम करने का आग्रह
किया है। 5 जून को मनाये गये विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्वसंध्या पर एनसीसीआई की न्याय,
शांति समिति के सचिव रेवरेंड क्रिस्टोफर राजकुमार ने कहा कि अनेक जातियों, प्रजातियों
और जैवविविधतावाले पर्यावरण रूपी उपहार के लिए हम विश्वास आधारित मसीही समुदायों को ईश्वर
को धन्यवाद देना चाहिए। इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस का शीर्षक था मेनी स्पेसिस, वन
प्लानेट वन फ्यूचर। रेवरेंड क्रिस्टोफर राजकुमार ने प्राकृतिक संसाधनों के बहुत
तेजी से दोहन और विखंडन होने पर गहन चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ताकतवरों
की निजी और व्यक्तिवादी लालची गतिविधियों के कारण महत्वपूर्ण जमीन और प्रजातियाँ प्रतिदिन
विलुप्त हो जा रही हैं। ईश्वर को इस ब्रह्माँड के सृष्टिकर्ता और पालनकर्ता माननेवाले
विश्वासी समुदायों के सामने यह स्थिति चुनौती है। ईश्वर को धन्यवाद देते उन्हें चुनौती
का सामना करना है। विशेषज्ञों के अनुसार कृषिगत योजनाओं, शहरों, आद्यौगिक विकास और
बाँधों के कारण या फिर प्रदूषण और भू क्षरण के कारण प्रतिदिन विश्व की 30 से 50 मिलियन
प्रजातियों में से 100 प्रजातियों का अस्तित्व समाप्त हो जा रहा है। अनेक गैर सरकारी
संगठनों ने विश्व पर्यावरण दिवस के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए रैलियों, गोष्ठियों
तथा पोस्टर प्रतियोगिताओं का आयोजित किया। प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की स्थापना
संयुक्त राष्ट्र संघ की आमसभा ने 1972 में की थी।