2010-06-05 12:45:13

पाफोस, साईप्रसः सन्त पापा ने ऑरथोडोक्स एवं काथलिकों के बीच एकता का आह्वान किया


काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा है कि ख्रीस्त के अनुयायियों के बीच और विशेष रूप से काथलिक एवं ऑरथोडोक्स कलीसियाओं के बीच एकता सम्भव है।
बेनेडिक्ट 16 वें की तीन दिवसीय साईप्रस यात्रा के उपलक्ष्य में साईप्रस के आगिया किरियाकि क्रिज़ोपोलीतिस ऑरथॉडोक्स गिरजाघर के प्राँगण में शुक्रवार को ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक प्रार्थना समारोह का आयोजन की किया गया था। इस अवसर पर अपने प्रवचन में सन्त पापा ने सभी ख्रीस्तानुयायों से एकता के सूत्र में बँधने की अपील की। समारोह में ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय एवं काथलिक धर्मानुयायियों सहित अन्य ख्रीस्तीय समुदायों जैसे आरमिनियाई काथलिक, लूथरन तथा एंगलिकन कलीसिया के प्रतिनिधि भी उपस्थित हुए।
अपने प्रवचन में सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्त के समस्त शिष्यों के बीच एकता वह वरदान है जिसके लिये इस आशा के साथ, पिता ईश्वर से, याचना की जानी चाहिये कि इससे आज के विश्व में सुसमाचार का साक्ष्य मज़बूत हो सके।" उन्होंने कहा, "प्रभु ने इसीलिये शिष्यों के बीच पवित्रता एवं एकता की प्रार्थना की थी ताकि संसार विश्वास कर सके।"
प्रार्थना समारोह के आरम्भ में साईप्रस के ऑरथॉडोक्स धर्माधिपति महाधर्माध्यक्ष क्रिज़ोस्तोमोस द्वितीय ने सन्त पापा के आदर में अभिवादन पत्र पढ़ा। प्रेरितवर बरनाबस, पौल तथा मारकुस द्वारा संस्थापित सन्तों एवं शहीदों के द्वीप, साईप्रस, में उन्होंने सन्त पापा का भावपूर्ण स्वागत किया। उन्होंने स्मरण कराया कि इसी स्थल पर मूर्तिपूजा धराशायी हो गई थी तथा गौरव एवं महिमा के साथ क्रूस के वैभव को संस्थापित किया गया था। यहीं पर वे बीज आरोपित किये गये थे जिनसे सम्पूर्ण यूरोप में ख्रीस्तीय धर्म की कोपलें प्रस्फुटित हुई थीं तथा दूर दूर तक फैल गई थीं।
ग़ौरतलब है कि आज जहाँ साईप्रस का ऑरथॉडोक्स गिरजाघर खड़ा है उसी स्थल पर, प्रेरित चरित ग्रन्थ के अनुसार सन्त पौल और बरनाबस को रोमी अधिकारियों ने यातनाएँ दी थीं।
महाधर्माध्यक्ष क्रिज़ोस्तोमोस द्वितीय ने तुर्की के साथ बने साईप्रस के तनावों के बारे में भी ज़ोरदार वकतव्य दिया तथा साईप्रस पर तुर्की के कब्ज़े की कड़ी निन्दा की। स्मरण रहे कि साईप्रस का एक तिहाई भाग तुर्की के कब्ज़े में है जहाँ तुर्की ने लगभग 35,000 सैनिकों को भी तैनात कर रखा है।
सन्त पापा ने इस विषय में कोई टिप्पणी नहीं की तथापि सबसे शांति की अपील की। इस बात पर उन्होंने बल दिया कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है केवल वार्ताओं द्वारा ही शांति स्थापित की जा सकती है।







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