साइप्रस में कलीसियाई एकतावर्द्धक समारोह में संत पापा का सम्बोधन
संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पाफोस स्थित आजिया किरियाकी क्रिसोपोलितिसा चर्च में 4
जून को आयोजित कलीसियाई एकतावर्द्धक समारोह में कहा कि वे प्राधिधर्माध्यक्ष क्रिसोस्तोमोस
द्वितीय को उनके हार्दिक स्वागत संबोधन के लिए, पापोस के धर्माध्यक्ष जोरजियोस और अन्य
सबको धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इस मुलाकात को संभव बनाया। वे यहाँ उपस्थित आरमेनियाई
लुथरन और आंगलिकन समुदायों सहित अन्य समुदायों के ख्रीस्तीयों का सहर्ष अभिवादन करते
हैं।
संत पापा ने कहा कि इस चर्च में प्रार्थना के लिए एक साथ एकत्रित होना महान
कृपा है। प्रेरित चरित से हमने पाठ में सुना जो हमें प्रेरित संत पौलुस की मिशनरी यात्रा
के प्रथम चरण का स्मरण कराता है। पवित्र आत्मा ने पौलुस और कुप्रुस निवासी बरनाबस तथा
मारकुस को एक विशेष कार्य़ के लिए अलग किया जो पहले सलमिस पहुँचे और यहाँ से उन्होंने
सभागृहों में ईश्वर के वचन का प्रचार करना शुरू किया। वे पाफुस पहुँचे और यहाँ से कुछ
दूरी पर रोमी अधिकारी सेरजुस पौलुस की उपस्थिति में प्रवचन किया और यहाँ से सुसमाचार
के संदेश का प्रचार पूरे रोमन साम्राज्य में होने लगा।
संत पापा ने कहा कि साइप्रस
में चर्च इस पर सही मायने में गर्व कर सकती है कि इसका सीधा सम्पर्क पौलुस बरनाबस और
मारकुस के प्रवचनों तथा प्रेरितिक विश्वास में इसकी सामुदायिकता से रहा है जिसने साइप्रस
को अन्य कलीसियाओ से संयुक्त रखा है और इस विश्वास को सुरक्षित रखा है। उन्होंने कहा
कि यह सामुदायिकता यथार्थ है, लेकिन अपूर्ण है, यह हमें एकता में बांधती है तथा विभाजनों
को दूर कर प्रभु के शिष्यों के मध्य प्रत्यक्ष एकता की स्थापना करने का प्रयास करने के
लिए उत्प्रेरित करती है।
संत पापा ने कहा कि प्रेरितिक विश्वास में कलीसिया
की सामुदायिकता उपहार और मिशन का आह्वान है। पौलुस और बरनाबस के समान प्रत्येक ईसाई बपतिस्मा
के द्वारा जीवित प्रभु तथा उनके मेलमिलाप, दया और शांति के सुसमाचार का नबूवती साक्ष्य
देने के लिए निर्दिष्ट किया गया है। इसी संदर्भ में मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों की
धर्मसभा जो अक्तूबर माह में रोम में सम्पन्न होगी इसमें क्षेत्र में ख्रीस्तीयों की प्रमुख
भूमिका पर चिंतन किया जायेगा जो उन्हें सुसमाचार का साक्ष्य देने के लिए प्रोत्साहन देगी
और क्षेत्र के सब ईसाईयों के मध्य संवाद और सहयोग को मदद करेगी।
संत पापा ने
कहा कि धर्मसभा में विभिन्न कलीसियाई समुदायों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति से धर्मसभा
के कार्य़ समृद्ध होंगे। ख्रीस्त के शिष्यों के मध्य एकता उपहार है जिसके लिए पिता ईश्वर
से इस आशा से याचना करें जो आज के विश्व में सुसमाचार के साक्षी बनने को ताकत दे। प्रभु
ने अपने शिष्यों की पवित्रता तथा एकता के लिए प्रार्थना किया था ताकि संसार उनमें विश्वास
करे। एक सौ वर्ष पूर्व एडिनवर्ग मिशनरी कांफ्रेस में यह गहन जागरूकता महसूस की गयी
कि ईसाईयों के मध्य विभाजन सुसमाचार के प्रचार में बाधा है और इस चजागरूकता से आधुनिक
कलीसियाई एकतावर्द्धक अभियान का जन्म हुआ। आज हम प्रभु के प्रति धन्यवादी हो सकते हैं
जिन्होंने अपनी आत्मा के द्वारा हमारा संचालन किया है।
संत पापा ने कहा कि विगत
दशकों में पूर्व और पश्चिम की समृद्ध साझा प्रेरितिक विरासतों की पुर्नखोज हुई है। ईमानदार
और धैर्य़पूर्ण संवाद के द्वारा एक दूसरे के निकट आने, विवादों को दूर करने तथा बेहतर
भविष्य के लिए उपायों को पाने का प्रयास किये गये हैं। साइप्रस में कलीसिया पूर्व और
पश्चिम के मध्य सेतु के समान सेवा देती है। इसने मेलमिलाप की प्रक्रिया में बहुत योगदान
दिया है।
संत पापा ने कहा कि पूर्ण एकता के लक्ष्य को पाने की राह में कठिनाईयों
से इंकार नहीं किया जा सकता है तथापि साइप्रस में काथलिक और आर्थोडोक्स कलीसियाएँ संवाद
और भ्रातृत्वमय सहयोग के पथ पर चलने के लिए समर्पित हैं। पवित्र आत्मा हमारे मन को आलोकित
करे तथा हमारे संकल्प को दृढ़ बनाये ताकि मुक्ति के संदेश को वर्तमान समय के सब लोगों
तक पहुँचा सकें। सत्य की प्यास जो मुक्ति और सच्ची स्वतंत्रता लाते हैं तथा उस सत्य का
नाम येसु ख्रीस्त है।
संत पापा ने कहा कि हम साइप्रस की कलीसिया को समृद्ध करनेवाले
संतों, विशेष रूप से सालामिस के धर्माध्यक्ष संत एपीफानुस का स्मरण करते हैं। पवित्रता
ख्रीस्तीय जीवन की पूर्णता का चिह्न है, पवित्र आत्मा के प्रति गहन आंतरिक विनम्रता है
जो हमें निरंतर मनपरिवर्तन और नवीनीकरण के लिए आमंत्रित करता है। मन परिवर्तन और पवित्रता
ऐसे साधन हैं जो हमारे मन और दिल को कलीसिया की एकता हेतु प्रभु की इच्छा के लिए खोलते
हैं।