2010-06-04 16:43:46

साइप्रस के महाधर्माध्यक्ष क्रिसोस्तोमोस द्वितीय का सम्बोधन


साइप्रस के महाधर्माध्यक्ष क्रिसोस्तोमोस द्वितीय ने आजिया किरियाकी क्रिसोपोलितिसा चर्च में संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का स्वागत किया और अपने संबोधन में कहा कि सन 45 में जब प्रेरित इस द्वीप में आये तब से लेकर आज तक साइप्रस की कलीसिया का लम्बा और फलप्रद इतिहास रहा है। इस दीर्घकालीन अवधि में कलीसिया ने असंख्य कठिनाईयों और समस्यांओ का सामना किया है लेकिन पवित्र आत्मा के निर्देश से सहायता पाकर आर्थोडोक्स ख्रीस्तीयों ने साक्ष्य देना जारी रखा है तथा ईश्वर प्रदत्त मिशन को पूरा कर रहे हैं लेकिन 1947 से साइप्रस और यहाँ की कलीसिया का इतिहास बहुत कठिन रहा है। तुर्की ने बर्बर हमला कर क्षेत्र के 37 प्रतिशत भूभाग पर कब्जा कर लिया तथा नापाक योजनाओं को पूरा करते हुए पूरे साइप्रस पर अधिकार पाने की ओर बढ़ रहा है।

महाधर्माध्यक्ष क्रिसोस्तोमोस द्वितीय ने कहा कि तुर्की जातीय सफाया करने की योजना को लागू कर रहा है। आर्थोडोक्स ख्रीस्तीयों को उनके पूर्वजों के घरों से निकाल बाहर कर अनातोलिया से सैकड़ो हजारों लोगों को लाकर यहाँ बसाया जा रहा है जिससे क्षेत्र की आबादी की जनसांख्यिक प्रकृति बदल रही है। ऐतिहासिक स्थलों का नाम बदलकर तुर्की नाम दिये जा रहे हैं। सांस्कृतिक विरासतों को लूटा जा रहा है, ख्रीस्तीय स्मारकों को नष्ट कर बाजारों में अवैध व्यापारियों के हाथों बेचा जा रहा तथा द्वीप से ग्रीक या ईसाई पहचान को समाप्त करने का प्रयास जारी है। उन्होंने कहा कि उनकी आशा भले और उदार ईश्वर पर है कि 1974 से पीडि़त कलीसिया और पीडि़त लोगों की ओर से वे अपना मुख नहीं मोडे़गे लेकिन उन्हें शांति, स्वतंत्रता और न्याय देंगे।

उन्होंने कहा साइप्रस की जनता जो अपने नेताओं के मार्गदर्शन में इस संघर्ष का सामना कर रही है संत पापा के सक्रिय समर्थन और सहयोग की कामना करती है ताकि पवित्र स्मारकों और सांस्कृतिक विरासतों के प्रति सम्मान और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।








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