वाटिकन सिटीः फादर मातेओ रिच्ची ने संस्कृतियों के बीच सम्वाद को प्रोत्साहित किया, बेनेडिक्ट
16 वें
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि फादर मातेओ रिच्ची ने चीन तक सुसमाचार का प्रचार
कर संस्कृतियों के बीच सम्वाद को प्रोत्साहित किया। फादर मातेओ रिच्ची के जन्म स्थल
इटली के माचेराता एवं मार्के धर्मप्रान्त से, उनके निधन की चौथी शताब्दी के उपलक्ष्य
में रोम आये तीर्थयात्रियों को, शनिवार को वाटिकन में सन्त पापा पौल षष्टम भवन में सम्बोधित
कर सन्त पापा ने कहा कि प्राथमिक रूप से फादर रिच्ची एक मिशनरी थे। उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय
सुसमाचार का प्रचार करने के साथ साथ फादर मातेओ रिच्ची ने चीन एवं शेष विश्व की संस्कृतियों
के मध्य महत्वपूर्ण सम्वाद की स्थापना की। इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए
कि आज भी चीन में फादर मातेओ रिच्ची का सम्मान होता है सन्त पापा ने कहा कि उनके मिशनरी
कार्यों को, सुसमाचारी संदेश के चीनी सांस्कृतिकरण तथा चीन में पश्चिमी जगत की संस्कृति
एवं विज्ञान की प्रस्तावना के प्रति, उनके समर्पण से अलग नहीं किया जाना चाहिये। सन्त
पापा ने कहा कि मातेओ रिच्ची के निधन की चौथी शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित अनेक कार्यक्रम
उन्हें केवल संस्कृति के मध्यस्थ रूप देख रहे हैं जो ग़लत है। सन्त पापा ने कहा कि फादर
रिच्ची विज्ञान तथा पश्चीमी जगत की संस्कृति को लेकर चीन नहीं गये थे बल्कि उनका उद्देश्य
सुसमाचार का प्रसार कर लोगों को ईश्वर का ज्ञान कराना था। उन्होंने कहा कि सुसमाचार प्रचार
की इसी प्रक्रिया में उन्होंने पश्चिमी जगत एवं चीन के बीच सम्वाद को प्रोत्साहित किया।
ऐसा सम्वाद जो आर्थिक एवं राजनैतिक स्वार्थों से मुक्त रहकर केवल मैत्री में विश्वास
रखता था। सन्त पापा ने तीर्थयात्रियों से कहा, "फादर मातेओ रिच्ची की तरह मैं भी
चीनी लोगों एवं उनकी प्राचीन संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रदर्शन करते हुए मंगलकामना
करता हूँ कि ख्रीस्तीय धर्म के साथ चीनी लोगों का साक्षात्कार उनके बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व
को प्रोत्साहित करेगा।" इटली के येसु धर्मसमाजी पुरोहित फादर मातेओ रिच्ची का
जन्म मार्के धर्मप्रान्त के माचेराता नगर में छः अक्तूबर सन् 1552 ई. को हुआ था। चीन
में ख्रीस्तीय धर्म का सूत्रपात करनेवाले फादर रिच्ची का निधन चीन में 11 मई 1610 ई.
को हो गया था।