भारतः राज्य कलीसियाई स्कूलों में दख़ल न दें, अदालत का आदेश
मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार राज्य के अधिकारियों को ख्रीस्तीय
स्कूलों के मामलों में दख़ल देने का कोई अधिकार नहीं है।
सतना धर्मप्रान्त के
पुरोहित फादर जोली कुन्नुकादन ने ऊका समाचार से कहा कि उच्च न्यायालय का यह आदेश अल्पसंख्यकों
द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं के लिये सहायक सिद्ध होगा।
20 मई को मध्यप्रदेश
के उच्च न्यायालय ने एक अन्तरिम निदेश जारी कर अधिकारियों को आदेश दिया था कि वे ख्रीस्त
कुल मिशन हायर सेकेन्डरी इंगलिश स्कूल की प्रबन्ध प्रणाली में हस्तक्षेप नहीं करें।
राज्य के अधिकारियों ने स्कूल में भर्ती के लिये प्रवेश परीक्षा को रद्द करने
तथा लॉटरी के आधार पर बच्चों को प्रवेश दिये जाने हेतु काथलिक स्कूल से मांग की थी जिसके
उपरान्त तीन अप्रैल को सतना स्थित उक्त स्कूल के प्रिंसिपल फादर सी. ए. वरगीज़ ने अदालत
में याचिका दर्ज़ की।
तदोपरान्त ज़िला शिक्षा अधिकारी ने एक सरकारी परिपत्र दर्शाते
हुए स्कूल की प्रबन्धक समिति में अपने अभ्यर्थी को रखने की मांग की थी जिसे भारत की सर्वोच्च
अदालत के आदेश के आधार पर काथलिक स्कूल ने चुनौती दी। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार
अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित संस्थाओं में राज्य हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
फादर
जोली ने बताया कि मध्यप्रदेश के अनेक शहरों में ख्रीस्तीय शिक्षा संस्थाओं को इस प्रकार
के हस्तक्षेप का सामना करना पडा है इसलिये 20 मई को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा
जारी अन्तरिम निदेश वास्तव में ख्रीस्तीय एवं अन्य अल्पसंख्यक संस्थाओं के लिये राहत
दिलाने वाला है।