2010-05-14 13:12:58

फातिमा, पुर्तगालः कार्य को प्रार्थना से संयुक्त रखने का लोकोपकारी कार्यकर्त्ताओं को परामर्श


पुर्तगाल के फातिमा नगर में गुरुवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पुर्तगाल में सेवारत काथलिक, सरकारी एवं ग़ैरसरकारी लोकोपकारी संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें अपना सन्देश दिया।

कल्याणकारी एवं सामाजिक सेवाओं में संलग्न लोगों से सन्त पापा ने आग्रह किया कि वे अपने कार्यों के साथ प्रार्थना को भी जोड़ें। विशेष रूप से काथलिक कार्यकर्त्ताओं से सन्त पापा ने कहा कि सांस्कृतिक दबावों के बावजूद वे अपनी काथलिक अस्मिता एवं पहचान को बनाये रखें।

सन्त पापा ने कहा, "आध्यात्मिक जीवन एवं प्रेरितिक गतिविधि के बीच सन्तोषजनक सामंजस्य उत्पन्न करना प्रायः सरल नहीं होता है।" उन्होंने कहा, "बलशाली के कानून तथा सरल एवं आकर्षक लाभ पर आधारित जीवन शैली को सही बताने वाली वर्तमानकाल में प्रबल संस्कृति द्वारा डाला जा रहा दबाव हमारी सोच को प्रभावित करता तथा हमारे सेवा लक्ष्यों को विश्वास एवं ख्रीस्तीय आशा से खाली कर देता है जिनसे आरम्भ में हमारे सेवा कार्य प्रेरित हुए थे।"

उन्होंने कहा, "निर्धनों एवं हाशिये पर जीवन यापन करनेवाले लोगों की मदद हेतु हमसे किये जानेवाले अनेक निवेदन हमें प्रभावात्मकता की तर्कणा, गणनीय परिणाम तथा प्रचार से मेल खाते समाधानों को खोजने हेतु बाध्य करते हैं।"

"तथापि, सन्त पापा ने कहा, "प्रार्थना एवं कार्य के बीच सामंजस्य की नितान्त आवश्यकता है।

काथलिक कार्यकर्त्ताओं के लिये उन्होंने अपनी पहचान को बरकरार रखना अनिवार्य बताया और कहा कि हर परिस्थिति में इस बात का आश्वासन मिलना चाहिये कि जनकल्याण हेतु सरकारी एजेन्सियों के साथ सहयोग करने के बावजूद ख्रीस्तीय उदारता संगठन, राजनीति एवं विचारधाराओं से मुक्त होकर, स्वतंत्र रूप से, अपने दायित्वों का निर्वाह कर सकें। उन्होंने कहा कि काथलिक एजेन्सियों द्वारा अर्पित कल्याणकारी एवं शिक्षा सम्बन्धी सेवाओं का प्रमुख उद्देश्य मानव उत्थान एवं विश्वव्यापी भ्रातृत्व को प्रोत्साहित करना होना चाहिये।

सन्त पापा ने कहा कि काथलिक कल्याणकारी सेवाएँ भिन्न भिन्न हैं किन्तु सामाजिक उत्कंठा में वे एकप्राण हैं जो निर्धनों, रोगियों, क़ैदियों, एकाकी एवं परित्यक्त लोगों, विकलांगों, बच्चों, वृद्धों, आप्रवासियों, बेरोज़गारों तथा वैयक्तिक प्रतिष्ठा एवं स्वतंत्रता के साथ समझौता करने के लिये बाध्य सभी ज़रूरतमन्द लोगों के प्रति दया में अभिव्यक्ति पाती हैं।

सन्त पापा ने उन सब सामाजिक एवं प्रेरितिक सेवाओं की सराहना की जो गर्भपात को प्रोत्साहन देनेवाली सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक कार्यप्रणालियों के विरुद्ध संघर्षरत हैं तथा जीवन की सुरक्षा के प्रति समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि जीवन के प्राथमिक मूल्यों की रक्षा करनेवाली पहलें जनकल्याण में बाधा डालनेवाले सर्वाधिक गम्भीर ख़तरों को टालनें में सक्षम बनती हैं।









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