लिसबनः धर्म के प्रति बढ़ती उदासीनता से सन्त बेनेडिक्ट 16 वें चिन्तित
रोम से पुर्तगाल की राजधानी लिसबन तक मंगलवार को अपनी हवाई यात्रा के दौरान सन्त पापा
बेनेडिक्ट 16 वें ने पत्रकारों के कुछ प्रश्नों के जवाब दिये जिसमें उन्होंने स्पष्ट
किया कि यूरोप में धर्म के प्रति बढ़ती उदासीनता उनकी चिन्ता का कारण है। उन्होंने कहा
कि धर्म से अलगाव के कट्टर प्रकारों से बचना ज़रूरी है क्योंकि ये पुर्तगाल जैसे देशों
की धार्मिक परम्पराओं को ख़तरे में डाल रहे हैं।
ग़ौरतलब है कि पुर्तगाल के लगभग
90 प्रतिशत लोग काथलिक धर्मानुयायी हैं किन्तु विगत दशक में इनमें से अधिकांश नाम मात्र
के काथलिक रह गये हैं। बताया जाता है कि केवल तीस प्रतिशत लोग ही गिरजाघरों में जाते
तथा काथलिक धर्म के नियमों का पूर्णरूपेण पालन करते हैं। प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार
विगत 25 वर्षों में काथलिक विवाहों में चालीस प्रतिशत की कमी आई है तथा तलाक दर में वृद्धि
हुई है। बपतिस्मा, विवाह, प्रथम परमप्रसाद एवं दृढ़ीकरण प्राप्त करनेवाले लोगों की संख्या
नित्य घटती रही है तथा गुरुकुलों में प्रवेश पानेवालों की संख्या 60 प्रतिशत कम हुई है।
लिसबन हवाई अड्डे पर मंगलवार को स्वागत समारोह के अवसर पर सन्त पापा ने पुर्तगाल
के लोगों से निवेदन किया था कि वे अपने ख्रीस्तीय मूल्यों को बरकरार रख विश्वास में सुख
की खोज करें। वर्तमान आर्थिक संकट को भी उन्होंने धार्मिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों में
आई कमी से जोड़ा था। इस बात की ओर उन्होंने ध्यान आकर्षित कराया था यदि मनुष्य नैतिक
एवं आध्यात्मिक मूल्यों से दिशा निर्देशन प्राप्त करेगा तो वह नवीन भविष्य के लिये नये
मार्गों की खोज कर सकेगा। सन्त पापा ने यह आश्वासन भी दिया था कि कलीसिया इस दिशा में
मानव सेवा के लिये तत्पर है। वह बहुलवादी समाज के बीच तब तक जीवन यापन करने को तत्पर
है जब तक वह सुसमाचार का साक्ष्य प्रदान कर सके तथा जब तक धर्म को निजी क्षेत्र तक न
सीमित कर दिया जाये।