संत पापा ने परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व बनाने की अपील की
संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने विश्व समुदाय से अपील की है कि वह परमाणु हथियारों से मुक्त
विश्व बनाने के पथ पर चलता रहे। 1970 की परमाणु अप्रसार संधि की समीक्षा करने के लिए
संयुक्त राष्ट्र संघ में सम्पन्न हो रहे सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधित उक्त बातें
संत पापा ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अंत में कहा। उन्होंने कहा कि सुनियोजित और सुरक्षित
निरस्त्रीकरण की दिशा में जारी प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्पों को पूर्ण
और सौहार्दपूर्ण तरीके से पूरा करने से निकट रूप से जूडी है। शांति, वास्तव में स्वीकार
किये गये कर्तव्यों के प्रति सम्मान और भरोसा करने पर टिकी है न कि केवल शक्तियों के
संतुलन पर। संत पापा ने कहा कि इसी भावना के तहत वे उन पहलों को प्रोत्साहन देते हैं
जो निरस्त्रीकरण के लिए सतत बढ़ावा देते तथा परमाणु हथियारों से मुक्त क्षेत्रों की रचना
करते हैं ताकि इस ग्रह से परमाणु हथियारों का पूर्ण उन्मूलन किया जा सके। उन्होंने कहा
है कि न्यूयार्क में सम्पन्न हो रही बैठक के सब प्रतिभागियों का वे आह्वान करते हैं कि
शांति के सब राजनैतिक और आर्थिक संरचनाओं को जोड़ें ताकि समग्र मानव विकास और लोगों की
यथार्थ आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मदद मिले। परमाणु हथियारों की अप्रसार संधि पर
1 जुलाई 1968 को हस्ताक्षर किया गया था तथा यह 5 मार्च 1970 से प्रभावी हुआ था। इस संधि
का लक्ष्य परमाणु हथियारों के निर्बाध प्रसार पर रोक लगाना तथा 1992 तक परमाणु हथियारों
को इन शस्त्रों से लैस राष्ट्रों- अमरीका, सोवियत संघ, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और चीन
तक ही सीमित रखना था। इस संधि के अनुसार अंतरराष्ट्रीय परमाणु शक्ति एजेंसी के सख्त नियंत्रण
के तहत शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु पदार्थौं और तकनीकियों के आदान प्रदान किये
जा सकते हैं. परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में सन 2000 में लिये गये 13 सूत्रीय बिन्दुओं
को स्वीकार किया गया था जिसके तहत परमाणु परीक्षणों पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गयी थी
तथा परमाणु हथियारों से लैस देशों ने निरस्त्रीकरण के लिए समर्पण व्यक्त किया था। सन
2005 में की गयी समीक्षा का निराशाजनक परिणाम मिला था। परमाणु हथियारों से लैस देशों
ने दस्तावेज को विचार विमर्श के आधार के रूप में स्वीकार नहीं किया। वर्तमान समय में
इस संधि पर 188 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं। भारत, पाकिस्तान और इस्राएल ने इस संधि
पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।